कुछ सालों पहले संयुक्त राष्ट्र संघ में एक प्रस्ताव प्रस्तुत कर पाकिस्तान ने यह मांग की थी कि वर्ष के किसी एक दिन को ‘‘इस्लामोफोबिया के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस’’ घोषित किया जाए। उस समय कई देशों, जिनमें भारत भी शमिल था, ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि फोबिया अर्थात उनके प्रति डर के भाव से कई अन्य धर्म भी पीड़ित हैं। प्रस्ताव का विरोध करने वाले देशों की संख्या कम थी और संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंततः 15 मार्च को "इस्लामोफोबिया के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस" घोषित कर दिया। दुर्भाग्यवश, पिछले महीने इस दिवस पर कोई चर्चा नहीं हुई।