टाइम्स ऑफ इजरायल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने के महत्व पर जोर देने के बाद, बाइडेन प्रशासन अभी तक इज़राइल के बारे में कैंपस बहस पर विचार नहीं कर पाया है।
इजरायली बमबारी में उनकी पत्नी, बेटी, बेटा और पोते के मौत हो गई। अपने बच्चों के शव को गोद में लिये अस्पताल में घूमते वाएल अल- दहदौह की फोटो दुनिया भर में वायरल हुई है।
गाजा युद्ध पर गुतेरेस के भाषण के बाद इजरायल ने कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को वीजा नहीं देगा। इजरायल संयुक्त राष्ट्र संघ से टकराव के मूड में दिख रहा है।
हमास-इजरायल युद्ध के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मंगलवार को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिलने के लिए इजरायल पहुंचे हैं।
अब कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि वह हमास के खिलाफ इस जंग में इजरायल को फिलिस्तीन के आम लोगों की हत्या करने का अधिकार नहीं दे।
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक लेबनान, जार्डन और ट्यूनिशिया सहित मध्य पूर्व क्षेत्र के कई देशों में इजरायल के खिलाफ बुधवार को विरोध प्रदर्शन किये गये हैं।
अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक पर्यवेक्षकों को डर है कि हिजबुल्लाह इजरायल के खिलाफ युद्ध में शामिल होने से लेबनान में तबाही और क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है।
हिजबुल्लाह लेबनान का एक मिलिशिया संगठन है जो मजबूत सैन्य क्षमता रखता है। यह लगातार इजरायल को चुनौती दे रहा है। माना जा रहा है कि गाजा में इजरायल अगर प्रवेश करता है तो उसे लेबनान सीमा से हिजबुल्लाह के हमलो को झेलना पड़ सकता है।
इजरायल द्वारा शुक्रवार की सुबह उत्तरी गाजा पट्टी को 24 घंटे में खाली करने का आदेश दिया गया है। इसके बाद बड़ी संख्या में लोग गाजा के उत्तरी इलाके से पलायन कर दक्षिण की तरफ जाने लगे हैं। उनके पलायन के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आये हैं।
ब्रिटेन की सड़कों पर फिलिस्तीनी झंडा लहराने वालों, फिलिस्तीन की आजादी की वकालत करने वाला गाना या नारा लगाना एक अपराध माना जा सकता है। इसको लेकर ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन का एक पत्र सामने आया है।
इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के बीच यह खबर आ रही है कि इजराइल हवाई हमले के बाद अब गाजा में जमीनी सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इजराइली सेना इसके लिए तैयार है लेकिन सैन्य विश्लेषक मान रहे हैं कि यह इतना भी आसान नहीं होगा।
फिलिस्तीन के ऊर्जा मंत्रालय ने बुधवार को कहा है कि गाजा के एकमात्र बिजली संयंत्र को ईंधन खत्म होने के बाद बंद कर दिया गया है।
इजराइल की रक्षा और उसकी खुफिया एजेंसियों को अचूक माना जाता रहा था, लेकिन हमास ने इस धारणा को तोड़ दिया। आख़िर इसके पीछे वजह क्या है? क्या इज़राइल ने अति आत्मविश्वास में ये ग़लती कर दी?
तकनीकी तौर पर संपन्न और दुनिया भर में अव्वल मोसाद जैसी खुफिया एजेंसी वाले इज़राइल में हमास ने घातक हमला कर दिया और इज़राइल को इसकी खुफिया जानकारी तक नहीं मिली। ये कैसे संभव हुआ? जानिए, हमास ने ये सब कैसे किया।
क्या शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति में या फिर न्यायपालिका में सरकार का हस्तक्षेप होना चाहिए? ये सवाल भारत में लगातार उठता रहा है और इजराइल में भी। लेकिन इजराइल में लोग सड़कों पर क्यों उतर गए?
भारत से इतर कई देशों में पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी के मामले में कार्रवाई हो रही है। फ़्रांस की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार एजेंसी एएनएसएसआई ने इसकी पुष्टि की है कि देश के दो पत्रकारों के फ़ोन में पेगासस स्पाइवेयर मौजूद था।
आठ विरोधी दलों के बीच हुए समझौते के अनुसार, यामिन पार्टी के बेनेट अभी प्रधानमंत्री बनेंगे और दो साल बाद येर लापिड उनकी जगह लेंगे।
हमास और इज़राइल के बीच युद्ध क्यों छिड़ा है? वहाँ शांति स्थापित क्यों नहीं हो रही है? क्या इसकी एक प्रमुख वजह फ़लस्तीन को देश का दर्जा नहीं मिलना भी है?
इज़राइल-फ़लस्तीन के बीच जारी ख़ून-ख़राबे को रोक पाने में नाकामी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की आलोचना शुरू हो गई है। यह आलोचना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो हो ही रही है, उनकी अपनी पार्टी के सांसद तक कर रहे हैं।
इज़राइल-फ़लस्तीन के लिए जितना ख़ून बहा है, जितना संघर्ष हुआ है, उतना दुनिया में किसी जगह के लिए नहीं हुआ है। जानिए, आख़िर कैसे अस्तित्व में आया इज़राइल।
हमास और इज़राइल के बीच युद्ध छिड़ा है। रॉकेट दागे जा रहे हैं। सैकड़ों लोगों के मारे जाने की ख़बर आ रही है। आख़िर इसकी वजह क्या है? जानें आख़िर हमास कैसे अस्तित्व में आया और किसने इसे खड़ा किया।
इस्रायल के हमले पर अरब देश क्यों खामोश हैं? क्या अमेरिका और विश्व बिरादरी इसमें दखल देगी और देगी तो किस तरह? फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, मुंबई, डॉ. सुनीलम, भोपाल, शीबा असलम फ़हमी, दिल्ली
कई अरब देश पहले ही इस्रायल से संबंध बनाने की दिशा में क़दम बढ़ा चुके हैं। यहाँ तक कि सऊदी अरब भी उसी दिशा में बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान पर भी भारी दबाव पड़ रहा है तो क्या उसे भी अरब देशों के पीछे चलना पड़ेगा? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट