एक ही सरज़मीं की दो नस्लें जो भाषा, धर्म, संस्कृति और दूसरी कई चीजों में एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं, ज़मीन के उस टुकड़े के लिए लड़ रही हैं जिस पर दोनों अपने अधिकार का दावा करती हैं, जो दोनों के ही अस्तित्व के लिए ज़रूरी है, जो उनमें से किसी के लिए सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है। लगभग 26 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैले इस इज़राइल-फ़लस्तीन के लिए जितना ख़ून बहा है, जितना संघर्ष हुआ है, उतना दुनिया में किसी जगह के लिए नहीं हुआ है। न ही दूसरे किसी संघर्ष ने विश्व राजनीति और पूरी मानवता को इस तरह प्रभावित किया है।
ज़मीन नहीं, अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं यहूदी और फ़लस्तीनी!
- दुनिया
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- 8 Oct, 2023

इज़राइल-फ़लस्तीन के लिए जितना ख़ून बहा है, जितना संघर्ष हुआ है, उतना दुनिया में किसी जगह के लिए नहीं हुआ है। जानिए, आख़िर कैसे अस्तित्व में आया इज़राइल।
यहूदियों का दावा है कि रोमन साम्राज्य ने सन् 70 में येरूशलम पर कब्जा कर 500 साल पुराने उनके मंदिर को ध्वस्त कर उसमें आग लगा दी और सारे यहूदियों को वहाँ से खदेड़ दिया। यह शुद्ध रूप से राजनीतिक संघर्ष था, क्योंकि उस इलाक़े के लोगों ने रोमन साम्राज्य को टैक्स देना बंद कर दिया था और ख़ुद को आज़ाद घोषित कर दिया था। उस समय तो इसलाम आया भी नहीं था और ईसाई धर्म का कोई प्रभाव नहीं था।