साल 1967 में छह दिनों तक चले फ़लस्तीन युद्ध, उसमें तीन अरब देशों की हार और उन देशों के हिस्सों पर इज़रायल के क़ब्जे ने पूरे मध्य-पूर्व की राजनीति पर गहरी छाप छोड़ी।
कई समझौतों के बावजूद नहीं बना फ़लस्तीन देश, नहीं लौट सके लाखों शरणार्थी
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- 8 Oct, 2023


हमास और इज़राइल के बीच युद्ध क्यों छिड़ा है? वहाँ शांति स्थापित क्यों नहीं हो रही है? क्या इसकी एक प्रमुख वजह फ़लस्तीन को देश का दर्जा नहीं मिलना भी है?
यहूदियों-मुसलमानों के पवित्र शहर पूर्वी येरूशलम पर इज़रायल के कब़्जे ने इज़रायल-फ़लस्तीन विवाद को भी बदल दिया और इस विवाद के दोनों पक्षों को भी अपनी रणनीति बदलने को मजबूर किया।
इज़रायलियों में अंध राष्ट्रवाद की भावना भरने लगी तो फ़लस्तीनियों में भी एक नए किस्म का राष्ट्रवाद बढ़ने लगा। यह राष्ट्रवाद सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि पहचान से जुड़ा हुआ था।
अरब राष्ट्रवाद
यह अरब राष्ट्रवाद था, फ़लस्तीनी पहचान की लड़ाई थी। इस लड़ाई को इन देशों के शासकों की निजी कोशिशों, रणनीतियों और लाभ-हानि से बाहर निकाल कर आम जनता से जोड़ने की मुहिम शुरू हुई।






















