क्या भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के पहले सांप्रदायिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि वह बहुसंख्यक हिन्दू वोटों को अपनी ओर खींच सके?
केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में और किसानों से बग़ैर पूर्व सलाह मशविरा के कृषि क़ानून पारित करने के आरोप को एक बार फिर ख़ारिज कर दिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इन क़ानूनों पर बातचीत दो दशक से भी लंबे समय से चल रही थी।
क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पर राजद्रोह का मामला बनता है? क्या 20 जनवरी को कार्यकाल ख़त्म होने के पहले ही संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल कर उन्हें पद से हटाया जा सकता है?
क्या पश्चिम बंगाल के गौरव के प्रतीक माने जाने वाले क्रिकेटर सौरव गांगुली जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएंगे? क्या बीजेपी ममता बनर्जी की लोकप्रियता की काट के रूप में उन्हें विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारेगी?
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 जैसे-जैसे नज़दीक आता जा रहा है, बंगाली अस्मिता के सबसे बड़े प्रतीकों में एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपनाने की बीजेपी की कोशिशें तेज़ होती जा रही हैं।
भारतीय जनता पार्टी भले ही यह दावा करे कि 75 सीटों के साथ वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, सच यह है कि हिन्दू-बहुल और पारंपरिक गढ़ जम्मू में भी उसे सिर्फ 37.3 प्रतिशत वोट ही मिले हैं, जो बहुमत से काफी कम है।
पश्चिम बंगाल के चुनावों पर घमासान जारी है। भारतीय जनता पार्टी ज़बर्दस्त तरह से हमलावर हैं। बीजेपी अपने पूरे चुनाव प्रचार में ममता बनर्जी को घेरने के लिये मुसलिम तुष्टिकरण के बेहद तीखे और सांप्रदायिक आरोप मढ़ रही है।
जिस पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर मुसलमानों के तुष्टिकरण का आरोप लगता है, जिस राज्य में हिन्दू-मुसलमान विभाजन की राजनीति अभी भी जड़ें नहीं जमा पाई है, वहां मुसलमानों की बात करने वाले असदउद्दीन ओवैसी क्या कहेंगे?
बिहार विधानसभा चुनाव में पाँच सीटें जीत कर सबको हैरत में डालने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) ने अब पश्चिम बंगाल का रुख किया है।
ऐसे समय जब पूरी दुनिया में वामपंथ का मर्सिया पढ़ दिया गया है, भारत में दक्षिणपंथी और विभाजनकारी ताक़तें हावी हैं और बीजेपी व नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है, इसके उलट वामपंथी दलों ने बिहार में ज़बरदस्त चुनावी नतीजे लाकर सबको हैरत में डाल दिया है।
ऐसे समय जब रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनल्ड ट्रंप डोमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन से लगभग 40 सीटों से पीछे चल रहे हैं और उनका जीतना बेहद मुश्किल हो चुका है, उनकी प्रचार टीम ने पेनसिलविनिया, मिशिगन और विस्कॉन्सिन में अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के अब बस कुछ घंटे ही रह गए हैं। अटकले तेज़ है कि कौन चुनाव जीतेगा। साथ ही एक सवाल उभर कर सामने आ रहा है कि अगर ट्रंप चुनाव हार गये तो क्या वो पूरी शालीनता से पद छोड देंगे?
कई मुसलिम-बहुल राष्ट्रों के तीखे विरोध और निजी हमले के बावजूद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर फ़्रांसीसी राष्ट्रपति के अड़े रहने से कई सवाल खड़े होते हैं। क्या यह वाकई यूरोपीय और इसलामी सभ्यताओं का संघर्ष है?
क्या नेपाल एक बार फिर भारत के दबाव में आ गया है या उसने अपने दूरगामी हितों को ध्यान में रख कर सोच-समझ कर यह फ़ैसला किया है कि नक्शे के मामले को बहुत अधिक तूल देने के बजाय भारत को शांत किया जाए?
बिहार में 15 से 29 साल की उम्र के लगभग 27.6 प्रतिशत लोग ही किसी तरह के रोज़गार में है। बिहार को सोचना है कि उसका विधानसभा अनुच्छेद 370 पर काम करेगा या रोज़गार पर।
केंद्रीय मंत्री और बिहार से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने विधानसभा चुनाव के दौरान पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना का मुद्दा उठा कर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला बुधवार को स्वयं चल कर महबूबा मुफ़्ती के घर उनसे मिलने गए। उनके साथ उनके बेटे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी थे।
सरकार की नीतियों और फ़ैसलों के लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण विरोध को भी कुचलने का हथियार बन चुके राजद्रोह क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन लोकुर ने चिंता जता कर इस पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
हाथरस में सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन के अधिकार और निजी स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर रही है। इसके साथ ही वह इससे जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का भी उल्लंघन कर रही है।
राजधानी दिल्ली से सटे दादरी में 5 साल पहले मुहम्मद अख़लाक को गोमांस रखने के आरोप में उग्र भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। अब तक अदालत में उस मामले की सुनवाई शुरू नहीं हुई है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ एक महीने का समय बचा है और वहाँ के एक बड़े प्रतिष्ठित अख़बार न्युयार्क टाइम्स ने डोनल्ड ट्रंप से जुड़ी एक धमाकेदार और सनसनीखेज ख़बर छाप कर सबको चौंका दिया है।
सीएए-एनआरसी का विरोध करने वाले लोगों को दंगों का अभियुक्त बनाने, उन पर यूएपीए और राजद्रोह का मुकदमा लगाने से कई सवाल खड़े होते हैं। राजनीतिक विरोधियों से राजनीतिक तरीकों से निपटने के बजाय क्या राज सत्ता का दुरुपयोग करते हुए विरोध की आवाज़ को दबाया जा रहा है।
चीन ने भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों को निशाना बनाया है और लाखों लोगों के ख़ुफ़िया डेटा चुराए हैं। उसके निशाने पर समाज के हर वर्ग के लोग हैं, राजनेता से लेकर पॉप सिंगर और सेना प्रमुख से लेकर तस्कर तक।