अयोध्या मामले में मुसलिम पक्षकारों के वकील रहे राजीव धवन ने दावा किया है कि उन्हें अब इस केस से हटा दिया गया है। इसके साथ ही धवन ने इस दावे को खारिज कर दिया कि वह अस्वस्थ हैं।
अयोध्या विवाद पर पहली बार देश में अब तक मुसलमानों की सर्वोच्च संस्था माने जाने वाला ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड अलग-थलग पड़ गया है।
बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का फ़ैसला बदल दिया है।
ऐसा कौन-सा वर्ग है जो येन-केन प्रकारेण अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मसजिद भूमि विवाद को जीवित रखना चाहता है? इस विवाद के लगातार बने रहने से किन्हें और किस तरह का लाभ हासिल होगा?
ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका दाख़िल करने का फ़ैसला किया है।
बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद भी मामला थमता नज़र नहीं आ रहा है। ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का फ़ैसला किया है।
बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया है। इसने कुछ सवालों के जवाब दिए, पर दूसरे कई सवालों के जवाब अनुत्तरित ही रह गए। क्या है मामला?
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला किस आधार पर दिया? आज की कड़ी में पढ़िए उन लोगों ख़ासकर विदेशी लोगों के यात्रा वृत्तांत के बारे में जो पिछले 500 सालों में अयोध्या आए थे।
बाबरी मसजिद-राम मंदिर सिर्फ़ राजनीतिक मुद्दा नहीं था। इससे जुड़ी हुई थी करोड़ों लोगों की भावनाएँ। मुसलमानों ने ख़ुद इस पर दावा छोड़ दिया होता तो उनका सिर ऊँचा होता और शर्मसार होते मसजिद ढहाने वाले।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपना फ़ैसला किस आधार पर दिया? आज हम उनमें से कुछ सबूतों के बारे में बात करेंगे जिनके बल पर कोर्ट ने यह निर्णय किया और जाँचेंगे कि क्या वे सबूत पर्याप्त थे।
राम लला विराजमान के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की विश्व हिन्दू परिषद से कभी नहीं पटी। उनकी गवाही पर ही तत्कालीन विहिप प्रमुख अशोक सिंघल को गिरफ़्तार कर लिया गया था। अब नए मंदिर में उन्हें जगह मिलेगी?
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ज़मीन को हिंदू पक्ष को देने का निर्णय क्यों दिया, किस आधार पर दिया, इसको लेकर अधिकतर लोगों के दिमाग़ में तसवीर साफ़ नहीं है।
9 नवंबर, 2019 के बाद अब यह कहा जा रहा है कि ठहरे रहने का नहीं, आगे बढ़ने का वक़्त है। शायद उच्चतम न्यायालय ने अपने फ़ैसले से हमें आगे बढ़ने का अवसर दिया है।
अयोध्या के मंदिर-मसजिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के एकमत फ़ैसले का आधार क्या वाक़ई सिर्फ़ क़ानून है, इसमें आस्था, विश्वास, कथा या इतिहास, किसी भी अन्य पहलू की कोई भूमिका नहीं है?
सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों ने अपनी भूमिका से आगे बढ़कर वह ज़िम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले ली है जिसे पूरा करने में इस देश का राजनीतिक नेतृत्व लगातार नाकाम हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली ने कहा है कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने उनके मन में संशय पैदा कर दिया है और वह इससे “बेहद परेशान” हैं।
अधिकतर बड़े अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों ने अयोध्या विवाद पर आए फ़ैसले को प्रधानमंत्री मोदी और उनके दल भारतीय जनता पार्टी के ‘हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे’ की जीत बताया।
ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर हैरत जताई है।
क्या पिछले 30 सालों से लगातार झूठ बोला गया कि मंदिर तोड़कर बनी थी मसजिद? ऐसा नहीं है तो फिर अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसले में क्यों कहा कि मंदिर तोड़कर मसजिद नहीं बनाई गई थी? मसजिद ढहाई गई और गर्भगृह में मूर्तियाँ रखी गईं। देखिए सत्य हिंदी पर आशुतोष की बात।
‘मंदिर वहीँ बनाएँगे’, पिछले तीस साल से यह नारा लगाते हुए जिनके गले छिल गए हैं, उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा गया है, ‘इतना हलकान क्यों होते हो? मंदिर वहीं बनेगा।’
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर ज़्यादा नाराज़गी तो नहीं है, लेकिन कुछ विरोधाभास की बातें कही जा रही हैं। मिसाल के तौर पर फ़ैसले में कहा गया मंदिर तोड़कर मसजिद बनाए जाने की पुष्टि नहीं और मसजिद में मूर्ति रखना ग़लत। तो फिर फ़ैसला इससे अलग क्यों? सत्य हिंदी पर शैलेश की रिपोर्ट।
लंबे समय से चल रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया है। फ़ैसले पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने कहा है कि वह इसे चुनौती दिये जाने के बारे में विचार करेगा।
अयोध्या विवाद पर आये फ़ैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा है कि हम सभी को इस फ़ैसले को स्वीकार करना चाहिए।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना दिया है। 2.77 एकड़ विवादित ज़मीन रामलला विराजमान को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी गई है। मुसलिम पक्ष अब क्या चाहता है?
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि मैं अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हूँ।
अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का लोगों ने सम्मान किया है। अधिकतर लोगों ने इस फ़ैसले से संतोष जताया है, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने फ़ैसले पर असंतोष ज़ाहिर किया है।