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AIADMK: महासचिव बनते ही ईपीएस ने ओपीएस को पार्टी से निकाला

एआईएडीएमके की जनरल काउंसिल की बैठक में अंतरिम महासचिव चुने जाने के बाद ई.के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने दूसरे गुट के नेता ओ. पन्नीरसेलवम (ओपीएस) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईपीएस ने ओपीएस को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अब यह साफ हो गया है कि एआईएडीएमके में ईपीएस ही ताकतवर नेता हैं और पार्टी के भीतर एकल नेतृत्व का मॉडल ही काम करेगा।

ओपीएस के अलावा उनके समर्थकों मनोज पांडियन, प्रभाकरण को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। 

ओपीएस पर आरोप लगाया गया है कि वह डीएमके के नेताओं के संपर्क में थे और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। इसके बाद ओपीएस के समर्थकों ने चेन्नई में स्थित पार्टी के मुख्यालय के बाहर ईपीएस का पुतला फूंका। 

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ओपीएस को बाहर का रास्ता दिखाए जाने का यह फैसला एआईएडीएमके की जनरल काउंसिल की बैठक में हुआ। काउंसिल में ढाई हजार से ज्यादा सदस्य हैं। बैठक में पार्टी से कोआर्डिनेटर और ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर के पदों को खत्म करने का फैसला लिया गया। ओपीएस पार्टी में कोआर्डिनेटर की भूमिका में थे जबकि ईपीएस ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर की। 

ईपीएस गुट की ओर से कहा गया कि दोहरे नेतृत्व नेतृत्व वाले मॉडल की वजह से पार्टी के भीतर फैसले लेने में परेशानी हो रही थी। ईपीएस गुट एआईएडीएमके में एकल नेतृत्व की व्यवस्था चाहता है जबकि ओपीएस गुट दोहरे नेतृत्व के मॉडल को जारी रखना चाहता था। 

Palaniswami expels Paneerselvam from AIADMK - Satya Hindi

कोर्ट ने दी इजाजत 

इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने एआईएडीएमके की जनरल काउंसिल की बैठक को किए जाने की अनुमति दे दी थी। इस बैठक पर रोक लगाने की मांग ओपीएस के गुट ने की थी। ओपीएस के गुट ने कहा था कि केवल कोऑर्डिनेटर और ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर ही जनरल काउंसिल की बैठक बुला सकते हैं। 

बैठक से पहले ईपीएस और ओपीएस के गुटों में पत्थरबाजी और हाथापाई भी हुई। इसका वीडियो भी सामने आया है।

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एआईएडीएमके की जनरल काउंसिल की बैठक में कई प्रस्ताव भी पारित किए गए। इनमें एक प्रस्ताव यह है कि पार्टी में 10 साल रहने के बाद ही कोई शख्स चुनाव लड़ सकता है। यह भी प्रस्ताव पास किया गया कि केंद्र सरकार पेरियार, अन्नादुरई और जयललिता को भारत रत्न दे।

यह प्रस्ताव पास किया गया है कि एआईएडीएमके में डिप्टी जनरल सेक्रेटरी को पार्टी महासचिव द्वारा ही नियुक्त किया जाएगा। 

ईपीएस गुट के द्वारा लिए गए फैसलों के बाद दोनों गुटों के नेता आपस में भिड़ गए हैं और इससे चेन्नई का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है।

ओपीएस को दी थी कुर्सी 

भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जब जयललिता को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी तो उन्होंने दो बार ओपीएस को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी दी थी। उनके निधन से पहले तीसरी बार भी ओपीएस को ही मुख्यमंत्री बनाया गया था। 

Palaniswami expels Paneerselvam from AIADMK - Satya Hindi

लेकिन जयललिता के निधन के बाद उनकी करीबी शशिकला ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली थी और ओपीएस की जगह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ईपीएस को बैठा दिया था। शशिकला के जेल में जाने के बाद ईपीएस और ओपीएस गुट ने हाथ मिला लिए थे और शशिकला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 

तब ओपीएस पार्टी में नंबर 1 बने थे और ईपीएस दूसरे नंबर पर थे जबकि सरकार में ईपीएस मुख्यमंत्री बने और ओपीएस उप मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन अप्रैल 2021 में सत्ता हाथ से निकलने के बाद दोनों गुट एक बार फिर आमने-सामने आ गए।

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क़मर वहीद नक़वी
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