कोविड की महामारी अमेरिका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के देशों के बाद अब भारत में तबाही मचा रही है। इस पर काबू पाने के लिए भारत को भी अमेरिका, यूरोप और चीन की तरह टीकाकरण करना होगा। मुश्किल यह है कि व्यापक पैमाने पर फैल जाने के कारण अब कोरोना के इस वायरस के बाहरी खोल में बदलाव आने लगे हैं जिनकी वजह से यह और तेज़ी से फैलने लगा है।
हमारी मुनाफ़े, प्रोटीन की बढ़ती भूख ने पैदा किए कोरोना जैसे वायरस!
- विविध
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- 4 May, 2021

जानवरों से इंसानों को लगने वाले घातक वायरसों का यह चक्र तभी से चला आ रहा है जबसे हमने जानवरों को प्रोटीन के कारख़ाने की तरह पालना और दोहना शुरू किया है। वायरसों से बचाव के लिए टीके ज़रूर बन गए हैं लेकिन हमारी मुनाफ़े और प्रोटीन की बढ़ती भूख की वजह से वायरसों की रफ़्तार टीकों से तेज़ होती जा रही है। इसका इलाज इस चक्र को तोड़े बिना संभव नहीं है।
वायरस में आ रहे परिवर्तनों को देखते हुए टीका वैज्ञानिकों ने कहना शुरू कर दिया है कि लोगों को महामारी से बचाए रखने के लिए एक साल के भीतर एक टीका और लगाने की ज़रूरत पड़ सकती है। कुछ वैज्ञानिकों का तो यह भी मानना है कि इस महामारी से बचे रहने के लिए ज़ुकाम के वायरस की तरह ही शायद हर साल टीका लगवाना पड़े। टीका बेअसर भी हो सकता है और नया टीका बनाना पड़ सकता है।