डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 100% टैरिफ लगाने की चेतावनी पर चीन ने कहा कि वह व्यापार युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने को तैयार है। जानें पूरा बयान और असर।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए जाने वाले 100% टैरिफ की धमकी के जवाब में चीन ने तीखा हमला किया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने रविवार को कहा, 'हम युद्धों में भाग नहीं लेते, लेकिन हम अपनी संप्रभुता और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाने को तैयार हैं।' यह बयान ट्रंप के हालिया इंटरव्यू के बाद आया है, जिसमें उन्होंने चीनी उत्पादों पर 'पूर्ण युद्ध' जैसी नीति का ऐलान किया था।
ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा था, 'चीन हमें लूट रहा है। अगर वे अपनी सैन्य महत्वाकांक्षाओं को नहीं रोकते तो हम उनके हर उत्पाद पर 100% टैरिफ लगाएंगे। यह आर्थिक युद्ध होगा।' ट्रंप ने नाटो देशों पर रूसी तेल खरीदारों पर टैरिफ लगाने का दबाव डालने की कोशिश की है।
नाटो सदस्यों और दुनिया को संबोधित एक पत्र में ट्रंप ने लिखा, 'मैं रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हूँ, जब सभी नाटो देश सहमत हो जाएँगे और ऐसा करना शुरू कर देंगे और जब सभी नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद कर देंगे। ...कुछ देशों द्वारा रूसी तेल की खरीद चौंकाने वाली रही है! यह रूस के साथ आपकी बातचीत की स्थिति और सौदेबाजी की शक्ति को बहुत कमज़ोर करता है।'
यह बयान ताइवान पर बढ़ते तनाव के बीच आया है, जहाँ अमेरिका ने हाल ही में ताइवान को हथियार बेचने का फ़ैसला किया। चीन ने इसे 'आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप' क़रार दिया है। चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने संपादकीय में लिखा, 'ट्रंप की धमकियाँ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को ही नुक़सान पहुंचाएंगी।'
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार स्लोवेनिया की राजकीय यात्रा के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता और प्रतिबंध उन्हें और जटिल बनाते हैं।
ट्रेड वॉर का नया दौर
ट्रंप का दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही चीन के साथ संबंधों में तनाव बढ़ गया है। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान 2018 में शुरू हुए पहले ट्रेड वॉर में अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर 25% तक टैरिफ लगाए थे, जिसका जवाब चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर टैरिफ से दिया। परिणामस्वरूप, वैश्विक जीडीपी में 0.5% की गिरावट आई थी। अब ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत 100% टैरिफ की धमकी को विशेषज्ञ 'पूर्ण आर्थिक ब्लैकआउट' बता रहे हैं।
चीनी अर्थव्यवस्था पहले ही मंदी का शिकार है। 2025 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि 4.7% रही, जो लक्ष्य से कम है। अमेरिका चीन का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जहाँ से 500 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार होता है। टैरिफ़ से चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और मशीनरी उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि हम विविधता बढ़ाएंगे और अन्य बाजारों की ओर रुख करेंगे।
ट्रंप की धमकी का राजनीतिक संदर्भ भी है। अमेरिकी मध्यावधि चुनावों से पहले ट्रंप चीनी उत्पादों को 'राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा' बता रहे हैं। उन्होंने कहा, 'चीन ताइवान पर हमला करने की योजना बना रहा है। हम उन्हें आर्थिक रूप से कुचल देंगे।' यह बयान पेंटागन की रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें चीनी सेना की ताइवान पर आक्रमण की क्षमता का जिक्र था।
चीन का जवाब
चीनी विदेश मंत्रालय के नियमित ब्रीफिंग में वांग वेनबिन ने ट्रंप के बयान पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, "अमेरिका हमेशा युद्धों में शामिल होता रहा है, लेकिन चीन शांति का पक्षधर है। 'हम युद्धों में भाग नहीं लेते' – यह हमारी नीति है। लेकिन अगर अमेरिका आर्थिक युद्ध थोपता है तो हम काउंटर-मेजर्स लेंगे।" वांग ने ताइवान मुद्दे पर जोर देते हुए कहा, 'ताइवान चीन का अभिन्न अंग है। अमेरिकी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।'
चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग ने रविवार को बोआओ फोरम में अप्रत्यक्ष रूप से जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'वैश्विक अर्थव्यवस्था को संरक्षणवाद से बचाना होगा। सहयोग ही समृद्धि का रास्ता है।'
इसके अलावा अमेरिका जी-7 देशों से आग्रह कर रहा है कि वे रूसी तेल के प्रमुख खरीदार भारत और चीन पर टैरिफ लगाकर रूस पर दबाव बढ़ाएँ। जी-7 में अमेरिका के अलावा कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं। इनमें से अधिकांश नाटो के सदस्य भी हैं। संयुक्त बयान के अनुसार, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने जी-7 के वित्त मंत्रियों से कहा, 'पुतिन की युद्ध मशीन को वित्तपोषित करने वाले राजस्व को स्रोत पर ही रोक लगाने के एकीकृत प्रयास से हम इस निरर्थक नरसंहार को रोकने के लिए पर्याप्त आर्थिक दबाव डाल पाएँगे।'
चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में वांग यी ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बात की थी और दोनों ने एक साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था।