जहां एक ओर इसराइल-ईरान संघर्ष ने दुनिया को सांसें थामने पर मजबूर कर दिया है, वहीं दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध की गूंज फिर से सुनाई दे रही है। ऐसे में कनाडा के खूबसूरत कनानास्किस में शुरू हुई जी7 शिखर बैठक पर हर किसी की नज़र टिकी है। क्या है इस बार का एजेंडा? व्यापार, शांति, या फिर जियो-पॉलिटिक्स की उलझनों का समाधान? 

इस बार जी7 शिखर सम्मेलन में विश्व के सात प्रमुख औद्योगिक देशों के नेता वैश्विक व्यापार, मध्य पूर्व में तनाव और अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जुटे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक व्यापार पर चर्चा जी7 नेताओं के लिए ज़रूरी है, क्योंकि वे इसे नजरअंदाज करने का जोखिम नहीं उठा सकते। इस साल का शिखर सम्मेलन कई वैश्विक चुनौतियों के बीच हो रहा है।
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जी7 शिखर सम्मेलन में कई प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। आधिकारिक जी7 वेबसाइट के अनुसार, इस वर्ष के एजेंडे में तीन मुख्य प्राथमिकताएं शामिल हैं:
  • वैश्विक शांति और सुरक्षा: इसराइल-ईरान संघर्ष, यूक्रेन संकट, और अन्य क्षेत्रीय तनावों पर चर्चा।
  • आर्थिक स्थिरता और व्यापार: अहम खनिज सप्लाई चेन को मजबूत करना, एआई और क्वांटम प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
  • वैश्विक चुनौतियां: जंगल की आग, ऊर्जा सुरक्षा, और विदेशी हस्तक्षेप और अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटना।

कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा, 'हमारी प्राथमिकताएँ शांति और सुरक्षा को मज़बूत करना, अहम खनिज आपूर्ति शृंखलाओं का निर्माण करना और वैश्विक आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना हैं।'

व्यापार चर्चा क्यों ज़रूरी?

वैश्विक व्यापार इस शिखर सम्मेलन का एक प्रमुख मुद्दा है, खासकर तब जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने व्यापार युद्ध और टैरिफ़ नीतियों को फिर से लागू करने की बात कही है। जानकार कहते हैं कि जी7 नेता तब तक एजेंडा से व्यापार को हटाने की हिम्मत नहीं करेंगे, जब तक कि सुरक्षा स्थिति विश्व-स्तर पर गंभीर न हो जाए।

ट्रंप की टैरिफ़ नीतियों के कारण जी7 देशों अमेरिका, कनाडा, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इटली, और यूनाइटेड किंगडम के बीच व्यापार तनाव एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। अन्य जी7 नेता ट्रंप से मुलाक़ात कर व्यापार युद्ध को कम करने और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे।

व्यापार के अलावा इसराइल और ईरान के बीच हाल के सैन्य तनाव ने शिखर सम्मेलन को और जटिल बना दिया है। इसराइल के ईरान पर हमले और तेहरान की जवाबी कार्रवाई ने विश्व नेताओं को चिंता में डाल दिया है। यह मुद्दा शिखर सम्मेलन में चर्चा का एक प्रमुख बिंदु होगा।

यूक्रेन संकट और ग़ज़ा में चल रहे सैन्य अभियान भी एजेंडे में शामिल हैं। इसके अलावा, कनाडा ने जंगल की आग से निपटने के लिए संयुक्त वैश्विक प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने पर जोर दिया है।
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इस शिखर सम्मेलन में डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी और उनकी नीतियाँ चर्चा का केंद्र बिंदु हैं। कई जी7 नेता ट्रंप के साथ व्यक्तिगत मुलाकात कर उनकी व्यापार और विदेश नीतियों पर चर्चा करना चाहते हैं। ट्रंप की एकतरफ़ा राजनयिक शैली और टैरिफ़ नीतियों ने जी7 देशों के बीच एकजुटता को चुनौती दी है।

जी7 और भारत

जी7 ने कुछ गैर-सदस्य देशों और संगठनों को भी आमंत्रित किया है ताकि वैश्विक आर्थिक विकास और शांति को बढ़ावा देने में सहयोग किया जा सके। जी20 का सदस्य भारत अक्सर जी7 शिखर सम्मेलनों में एक अहम भागीदार रहा है। हालाँकि, इस साल भारत की विशिष्ट भूमिका के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।
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कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन 2025 वैश्विक व्यापार, शांति, और आर्थिक स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए एक अहम मंच है। व्यापार युद्ध, मध्य पूर्व संकट और ट्रंप की नीतियों ने इस शिखर सम्मेलन को और अधिक प्रासंगिक बना दिया है। विश्व नेताओं के लिए यह एक अवसर है कि वे एकजुट होकर वैश्विक चुनौतियों का समाधान करें, क्योंकि वे व्यापार पर बातचीत न करने का जोखिम नहीं उठा सकते।