आईएमएफ़ ने बेलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान पर सख्त शर्तें लागू की हैं। आर्थिक संकट और भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच क्या पाकिस्तान कूटनीतिक और आर्थिक संतुलन बनाए रख सकेगा?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने पाकिस्तान को 2.4 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का फ़ैसला तो किया है, लेकिन इसके लिए 11 नई शर्तें रखी हैं। इसके साथ ही आईएमएफ़ ने चेतावनी दी है कि भारत के साथ बढ़ता तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा ख़तरा बन सकती है।
पाकिस्तान पर लगाई गई नई शर्तों में 17.6 लाख करोड़ रुपये के नए बजट को संसदीय मंजूरी, बिजली बिलों पर कर्ज चुकाने के सरचार्ज में बढ़ोतरी और तीन साल से अधिक पुरानी इस्तेमाल की गई कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना शामिल है।
आईएमएफ़ ने पाकिस्तान से कहा है कि अगर उसे आर्थिक मदद चाहिए, तो उसे कुछ नियम मानने होंगे। इनमें से 11 नई शर्तें हैं:
इन शर्तों का मकसद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है, लेकिन भारत के साथ तनाव के कारण यह काम आसान नहीं होगा।
भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमलों का जवाब था। भारत ने इसे आतंकवाद के ख़िलाफ़ बड़ा क़दम बताया, लेकिन पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला माना। भारत ने आईएमएफ़ को चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान इस आर्थिक मदद का ग़लत इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है।
आईएमएफ़ ने भारत की इस चिंता को गंभीरता से लिया और अपनी शर्तों में रक्षा ख़र्च पर नियंत्रण और वित्तीय पारदर्शिता को शामिल किया। इसका मतलब है कि पाकिस्तान को अपने सैन्य ख़र्चों को कम करना होगा, जो भारत के साथ तनाव के समय में उसके लिए मुश्किल हो सकता है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही बहुत खराब हालत में है। वहां महंगाई बहुत ज़्यादा है, विदेशी मुद्रा का भंडार कम हो रहा है, और कर्ज लगातार बढ़ रहा है। इस बेलआउट से पाकिस्तान को 15 बिलियन डॉलर के क़र्ज चुकाने में मदद मिलेगी, लेकिन आईएमएफ़ की सख्त शर्तें इसे मुश्किल बना रही हैं।
मिसाल के तौर पर बिजली की क़ीमतें बढ़ाने और खेती पर टैक्स लगाने जैसे क़दम आम लोगों को परेशान कर सकते हैं। साथ ही, भारत के साथ तनाव के कारण पाकिस्तान को अपनी रक्षा पर भी ध्यान देना पड़ रहा है, जो आईएमएफ़ की शर्तों के ख़िलाफ़ है।
भारत ने इस बेलआउट पर सख़्त आपत्ति जताई है। उसका कहना है कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए यह साफ़ कर दिया है कि वह आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ अपनाएगा।
भारत की यह चिंता आईएमएफ़ को प्रभावित कर रही है और इसीलिए उसने रक्षा ख़र्च पर नियंत्रण जैसी शर्तें जोड़ी हैं।
हालाँकि, भारत का यह सख़्त रुख दक्षिण एशिया में तनाव को और बढ़ा सकता है। अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम नहीं हुआ, तो इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं और क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
पाकिस्तान के पास इस बेलआउट को स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं है, क्योंकि इसके बिना उसकी अर्थव्यवस्था और बिगड़ सकती है। लेकिन इन शर्तों को लागू करना आसान नहीं होगा। बिजली की क़ीमतें बढ़ाने और टैक्स लगाने जैसे क़दम जनता में ग़ुस्सा पैदा कर सकते हैं। साथ ही, भारत के साथ तनाव कम करना भी ज़रूरी है, ताकि वह अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान दे सके।
पाकिस्तान अगर भारत के साथ बातचीत शुरू करे और आतंकवाद के ख़िलाफ़ ठोस क़दम उठाए तो शायद अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा जीत सके। लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है, क्योंकि दोनों देशों के बीच पुराना अविश्वास और हाल के तनाव ने स्थिति को और मुश्किल बना दिया है।
इस ख़बर पर भारत और पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं। भारत में कई लोग आईएमएफ़ के क़दम को सही मान रहे हैं। एक यूजर ने एक्स पर लिखा, 'आईएमएफ़ ने पाकिस्तान पर सख्त शर्तें लगाकर सही किया।'
वहीं, पाकिस्तान में लोग इन शर्तों को अपनी आज़ादी पर हमला बता रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा है कि आईएमएफ़ की शर्तें हमारी अर्थव्यवस्था को और कमजोर करेंगी, हमें इसका विरोध करना चाहिए।
आईएमएफ़ की नई शर्तें और भारत-पाक तनाव को जोखिम मानना एक बड़ा मुद्दा है। यह न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत और पूरे दक्षिण एशिया की स्थिति पर भी असर डालेगा। पाकिस्तान के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उसे आर्थिक सुधार और भारत के साथ तनाव के बीच संतुलन बनाना होगा। भारत को भी अपनी चिंताओं को उठाने के साथ-साथ क्षेत्रीय शांति के लिए कूटनीति पर ध्यान देना होगा।