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क्या अमेरिका में गृहयुद्ध के आसार हैं?

अमेरिका में गृहयुद्ध का इतिहास रहा है। अब फिर से वहाँ सोशल मीडिया पर 'सिविल वार' यानी 'गृहयुद्ध' शब्द का इस्तेमाल काफ़ी तेजी से बढ़ गया है। मीडिया में 'गृहयुद्ध' से जुड़ी रिपोर्टें आने लगी हैं। विशेषज्ञ इस पर बहस कर रहे हैं। राजनेताओं के बयानों में हिंसा का ज़िक्र ज़्यादा होने लगा है। इस गृहयुद्ध शब्द में अचानक से उछाल के बाद लोगों ने अब अमेरिकी इतिहास के पन्ने पलटने शुरू कर दिए हैं। 

और पन्ने पलटते-पलटते 1861-1865 पर लोग रुक रहे हैं। ये वही साल हैं जब अमेरिकी इतिहास में सबसे भयावह त्रासदियों में से एक घटित हुई थी। ये साल गृहयुद्ध के थे और उसमें क़रीब छह लाख तो सैनिक ही मारे गए थे। कहा जाता है कि इतिहास दोहराता है, तो क्या अमेरिका में अब फिर से इतिहास दोहराने जा रहा है? आख़िर अमेरिका में गृहयुद्ध पर इतनी बहस क्यों तेज हुई है?

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दरअसल, यह बहस तेज हुई है दो घटनाक्रमों के बाद से। एक घटनाक्रम है- अगस्त महीने में एफबीआई ने मार-ए-लागो रिसॉर्ट की तलाशी ली थी। दूसरा है- जो बाइडन का लोकतंत्र पर भाषण और एक रिपब्लिकन नेता का चौंकाने वाला दावा। बाइडन ने अपने भाषण में ट्रम्प और रिपब्लिकन को गणतंत्र की नींव के लिए ख़तरा बताया। इधर पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की पार्टी से जुड़ी एक रैली में इसके एक नेता ने दावा कर दिया कि कथित तौर पर मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी के लोगों ने डोनल्ड ट्रंप की पार्टी के लोगों को मारना शुरू कर दिया है।

मार-ए-लागो रिसॉर्ट की तलाशी से मौजूदा तनाव बढ़ना शुरू हुआ है। मार-ए-लागो रिसॉर्ट फ्लोरिडा के पाम बीच पर है। इसके मालिक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प हैं। ट्रम्प ने 1985 में इसको खरीदा था और वह अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान इसे 'विंटर व्हाइट हाउस' के रूप में ज़िक्र करते थे। यह रिसॉर्ट बेहद शानदार है और यह ट्रंप के कई निवास स्थानों में से एक है। इसी मार-ए-लागो रिसॉर्ट पर एफ़बीआई ने अगस्त महीने में छापा मारा था। रिपोर्टों में कहा गया है कि छापे में एफबीआई परमाणु हथियारों से संबंधित बेहद गुप्त दस्तावेजों की पड़ताल कर रहा था।

इस छापे के बाद अमेरिका में राजनीतिक सरगर्मियाँ बढ़ गईं। इसके बाद जो ट्रेंड सामने आ रहा है उसमें चरमपंथ का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि अब अधिक अमेरिकी लगातार राजनीतिक हिंसा की संभावना का अनुमान लगा रहे हैं। और यह सोशल मीडिया पर भी दिख रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ट्विटर पर वे पोस्ट, जिनमें 'गृहयुद्ध' का उल्लेख किया गया था, कुछ ही घंटों में ही लगभग 3,000 प्रतिशत बढ़ गयी थीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस छापे की कार्रवाई के बाद ट्रम्प के समर्थकों ने कार्रवाई को उकसावे वाला माना। 

ट्रंप के रिसॉर्ट पर छापे के बाद फेसबुक, रेडिट, टेलीग्राम, पार्लर, दक्षिणपंथी विचारधारा वाला सोशल मीडिया गैब और ट्रम्प के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर 'सिविल वार' वाली पोस्टों की बाढ़ आ गयी।

अमेरिकी अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि मीडिया-ट्रैकिंग फर्म, क्रिटिकल मेंशन ने कहा है कि रेडियो कार्यक्रमों और पॉडकास्ट पर इस शब्द का उल्लेख दोगुने से अधिक हो गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पोस्टों में 'गृहयुद्ध' शब्द के इस्तेमाल में फिर से तब उछाल आया जब फिलाडेल्फिया में राष्ट्रपति जो बाइडन ने लोकतंत्र पर एक भाषण दिया। बाइडन ने अपने भाषण में ट्रम्प और 'एमएजीए रिपब्लिकन' को 'हमारे गणतंत्र की नींव' के लिए ख़तरा बता दिया।

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न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चरमपंथ का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि मतदान, सोशल मीडिया अध्ययन और ख़तरों में वृद्धि से पता चलता है कि ऐसे अमेरिकियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है जो राजनीतिक हिंसा की संभावना का अनुमान लगा रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त के अंत में YouGov और द इकोनॉमिस्ट द्वारा 1,500 वयस्कों के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 'घोर रिपब्लिकन' के रूप में पहचाने जाने वाले 54 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना ​​​​था कि अगले दशक में गृहयुद्ध कम से कम कुछ हद तक संभव है। सभी उत्तरदाताओं में से केवल एक तिहाई ने महसूस किया कि ऐसी घटना की संभावना नहीं है। दो साल पहले समान समूहों द्वारा किए गए एक समान सर्वेक्षण में पांच में से लगभग तीन लोगों ने महसूस किया था कि 'यू.एस. में गृहयुद्ध जैसा विघटन' या तो कुछ हद तक या बहुत ही असंभव था।

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जिस तरह की हिंसा बढ़ी है या जिस तरह की अब चर्चाएँ जोर पकड़ रही हैं उसकी शुरुआत तब हुई थी जब राष्ट्रपति के तौर पर डोनल्ड ट्रंप का कार्यकाल ख़त्म हो रहा था और चुनाव में वह हार मानने को तैयार नहीं थे। समय था 6 जनवरी 2021। इस दिन कैपिटल बिल्डिंग हिंसा हुई थी।  कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के लिए ट्रंप की आलोचना की जाती रही है। यह इसलिए कि जिस यूएस कैपिटल या कैपिटल बिल्डिंग में हिंसा हुई वहीं पर जो बाइडन की जीत को प्रमाण पत्र मिलने से पहले ट्रंप ने वाशिंगटन में एक रैली में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि 'हम कभी हार नहीं मानेंगे।' उन्होंने भीड़ को भड़काते हुए कहा था, 'आप कमज़ोरी से अपना देश फिर हासिल नहीं कर सकते।' ट्रंप ने भीड़ को कैपिटॉल की ओर कूच करने को कहा था। ट्रंप के भाषण के बाद ही उनके समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग में घुसने की कोशिश की और हिंसात्मक प्रदर्शन किया था। इस हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी।

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ट्रम्प ने 2019 में 'गृहयुद्ध' शब्द का इस्तेमाल तब किया था जब उन्होंने एक ट्वीट में घोषणा की थी कि यदि उन्हें पद से हटा दिया गया तो 'इससे इस देश में एक गृहयुद्ध जैसा तनाव पैदा होगा जिससे हमारा देश कभी ठीक नहीं होगा।' पिछले महीने भी ट्रम्प ने कहा था कि यदि उन्हें एफ.बी.आई की तलाशी वाले गुप्त दस्तावेजों को लेकर आरोपित किया गया तो 'इस देश में ऐसी समस्याएं होंगी जो शायद हमने पहले कभी नहीं देखी हैं'। 

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की राजनीतिक कार्रवाई समिति, सेव अमेरिका की रैली में रिपब्लिकन मार्जोरी टेलर ग्रीन ने शनिवार को कहा, 'डेमोक्रेट्स न केवल रिपब्लिकन को मारना चाहते हैं, बल्कि उन्होंने ऐसा करना शुरू कर दिया है।' ग्रीन ने मिशिगन के वारेन में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि शासन के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत के लिए अब हम सभी निशाने पर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 'जो बाइडन ने हर स्वतंत्रता-प्रेमी अमेरिकी को राज्य का दुश्मन घोषित किया है।' 

हाल ही में ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में काम कर चुके माइकल टी फ्लिन ने कहा है कि राज्यपालों के पास युद्ध की घोषणा करने की शक्ति है और 'हम शायद इसे देखने जा रहे हैं।' हालाँकि उनके ये दावे ग़लत हैं। अमेरिकी संविधान युद्ध घोषित करने की एकमात्र शक्ति अमेरिकी संसद कांग्रेस को देता है। दरअसल, संविधान राज्यों को युद्ध में शामिल होने से रोकता है।

अब इस साल 8 नवंबर को संसद के सदस्यों के लिए मध्यावधि चुनाव होने वाले हैं। आशंका जताई जा रही है कि कहीं कैपिटल बिल्डिंग हिंसा जैसा कुछ मामला न हो जाए! यदि ये घटनाएँ उस दिशा में बढ़ती हैं तो फिर 'गृहयुद्ध' को लेकर चर्चा फिर से तेज हो सकती है। अमेरिका अपने इतिहास का सबसे ख़राब दौर अपने पिछले गृहयुद्ध में देख चुका है।

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अमेरिका में गृहयुद्ध 1861 से 1865 के बीच चला था। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी राज्यों और दक्षिणी राज्यों के बीच में लड़ा जाने वाला एक गृहयुद्ध था जिसमें उत्तरी राज्य विजयी हुए। इस युद्ध में उत्तरी राज्य अमेरिका की संघीय एकता बनाए रखना चाहते थे और पूरे देश से दास प्रथा हटाना चाहते थे। दक्षिणी राज्य घोर दक्षिणपंथी विचार वाले थे और वे दास प्रथा को हटाने के पक्ष में नहीं थे। दक्षिणी राज्य अमेरिका से अलग होकर 'परिसंघीय राज्य अमेरिका' नाम का एक नया राष्ट्र बनाना चाहते थे। इसमें इसकी पैरवी की गई थी कि यूरोपीय मूल के श्वेत लोगों को अफ्रीकी मूल के काले लोगों को गुलाम बनाकर ख़रीदने-बेचने का अधिकार हो। इस युद्ध में 6 लाख से अधिक अमेरिकी सैनिक मारे गए। उस गृहयुद्ध के मुख्य कारणों में से एक दास प्रथा थी। हालाँकि यही एकमात्र कारण नहीं थी। वास्तव में इस संघर्ष का बीज बहुत पहले बोया जा चुका था। कहा जाता है कि यह विभिन्न विचारधाराओं में पारस्परिक विरोध का परिणाम था। 

तो सवाल है कि क्या मौजूदा हालात उस दिशा में बढ़ने के संकेत देते हैं? क्या अमेरिका में अब अलग-अलग विचारधाराएँ आमने-सामने हैं और क्या उनके समर्थकों की प्रतिक्रिया उस तरह के संकेत देते हैं?

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क़मर वहीद नक़वी
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