लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।
अगर आप की निजी आय 15 लाख रुपये सालाना है तो 30 फ़ीसदी आयकर देना पड़ता है, लेकिन करोड़ों-अरबों रुपये कमाने वाली कंपनियों को अधिकतम 22 फ़ीसदी ही कर देना पड़ता है। क्या यह स्थिति बदलेगी?
अमेरिका में थर्ड जेंडर को आधिकारिक पहचान दिलाने का संघर्ष 1950 के दशक के पहले से ही चल रहा है। तब से यह इस देश के जेंडर विमर्श का एक प्रमुख हिस्सा रहा है।
दिल्ली चुनाव के लिए तारीख़ें घोषित कर दी गई हैं और चुनाव आचार संहिता लागू है तो मतदाताओं को कैसे प्रभावित किया जा सकता है? जानिए, सरकार ने इसकी तोड़ कैसे निकाल ली।
दिल्ली चुनाव 2025 सोशल मीडिया पर भी लड़ा जा रहा है। इसमें आम आदमी पार्टी बाजी मारते हुए दिख रही है। इंस्टाग्राम से लेकर फेसबुक, ट्विटर (एक्स) पर आर्टिफिशल इंटेलीजेंस की मदद से तैयार आप का प्रचार अभियान जबरदस्त है। इनकी विशेषता है कि ये आपको आकर्षित करते हैं।
जहां दिल्ली में वायु गुणवत्ता 400 के आस-पास के ख़तरनाक स्तर पर है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर में यह 1900 और मुल्तान में 2000 पार कर गया। क्या सिर्फ़ जुर्माना बढ़ाकर प्रदूषण फैलने से रोका जा सकता है?
भारत में अगले साल जनगणना कराने के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि यह जनगणना 2021 में होना थी। मोदी सरकार ने अगर तय समय पर इसे करा दिया होता तो कोविड महामारी से भारत में जो तमाम सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक बदलाव हुए हैं, उसके असर का पता चल जाता। हालांकि बाकी देशों ने कोविड के असर का पता लगाना उसी समय शुरू कर दिया था। भारत चूक गया।
राहुल गांधी ने हाल ही में विदेश जाने वालों के डंकी रूट का एक वीडियो जारी किया था। तो क्या हरियाणा में रोजगार न मिलने के कारण नौजवान निराश और हताश हैं? जानिए, आख़िर वास्तविक स्थिति कैसी है।
भिवानी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है उसकी जगह टिकट दिया गया है सीपीएम के कॉमरेड ओमप्रकाश को।
यदि बड़ी संख्या में लोग बागी होकर पार्टी के खिलाफ निर्दलीय या किसी पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ते हैं तो वह ध्रुवीकरण क्या सिरे नहीं चढ़ पाएगा जिसकी बीजेपी इस बार उम्मीद कर रही थी?
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी में बगावत और अंदरुनी कलह की ख़बरें हैं। तो सवाल है कि इस तरह की गुटबाज़ी में किसको बड़ा नुक़सान होगा?
हरियाणा में राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधि एक ऐसी विधानसभा चुनेगी जिसकी उम्र अब कुछ ही हफ्ते की बची है और उसकी उलटी गिनती भी शुरू हो चुकी है। क्या यह नैतिक रूप से सही है?
केंद्रीय चुनाव आयोग का यह फैसला चौंकाने वाला है कि हरियाणा के प्रमुख शहरों में मतदान केंद्र रिहायशी प्राइवेट बिल्डिंगों में भी बनाए जाएंगे। विपक्षी दलों ने अभी इस फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन यह बहुत आपत्तिजनक है। ऐसा कभी नहीं हुआ। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर ने लिखा है कि इससे भाजपा को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। वैसे तमाम रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशनों में भाजपा की पैठ है। जानिए हरजिंदर क्या बता रहे हैंः
गुरमीत राम रहीम सिंह को विधानसभा चुनाव से पहले फर्लो मिल गई। तमाम प्रयास के बाद भी लोकसभा में बीजेपी को बड़ा नुक़सान हुआ। तो लेकिन सवाल है कि भाजपा के पास विकल्प क्या हैं?
केंद्र की मोदी सरकार और चंद अर्थशास्त्री बजट 2024 की तारीफ में अभी तक डूबे हुए हैं। वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार हरजिंदर ने इस मौके पर पिछली सरकारों के बजट को याद किया है। जानिए उनका आकलनः
क्या बजट में मध्यवर्ग के लिए कुछ है? नौजवानों, किसानों, गरीबों, महंगाई दूर करने के लिए कुछ है? यदि नहीं तो यह बजट आखिर किसका है?
बजट से ठीक पहले चंद्राबाबू नायडू की दिल्ली यात्रा के क्या मतलब हैं? चंद्राबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार दोनों ही अपने प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की बात करते रहे हैं।
केंद्र सरकार की कृषि नीति समय पर फैसला न लेने के बुरे नतीजों का शिकार हो चुकी है। सरसों बोने वाले किसानों के साथ इस बार कैसे धोखा हुआ है, उसे वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर के नजरिए से समझिए।
इस साल गेहूं का रेकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है लेकिन किसानों को उससे क्या फायदा होगा। सरकार की नीतियां क्या हैं, वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर ने उसी तरफ इशारा किया है।
एथेनाॅल परियोजना से जुड़ा एक तर्क है जो शायद अगले आम चुनाव तक चले। कहा जा रहा है कि इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा?
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा योजना के लिए फंड को लगातार कम क्यों किया जा रहा है? जानिए इस योजना के बारे में पीएम मोदी ने 2015 में क्या कहा था।
गंगा विलास नाम का लक्ज़री क्रूज़ 13 जनवरी को वाराणसी से चलेगा और 50 दिन में चार हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी करके असम पंहुचेगा।
भारत में क्या खाद्यान्न संकट आने वाला है? पहले गेहूँ के निर्यात पर प्रतिबंध और अब टुकड़ा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के क्या मायने हैं?
बेरोजगारी को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आई मोदी सरकार क्या अब इस मुद्दे पर कुछ ठोस कर पाएगी?
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का कृषि पर क्या असर होगा, यह गेहूँ की फ़सल पर इस बार साफ़ दिख गया। गेहूँ के दाने सूख गए। तो क्या आगे जल्द ही भुखमरी का संकट आने वाला है?
गेहूं निर्यात पर सरकार की दोगली नीति सामने आई है। एक तरफ उसने गेहूं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए टास्क फोर्स बनाई तो दूसरी तरफ गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भारत में महामारी ने 47 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ली थी। डब्ल्यूएचओ ने उन खबरों की पुष्टि कर दी है जब कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे, ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी।