प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर के दौरे पर कहा है कि वह भारत में भी कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं और वह इस दिशा में मिलकर कोशिश कर रहे हैं। क्या सच में भारत में सिंगापुर बनाने का माहौल है? या हालात कुछ और स्थिति की ओर इशारा करते हैं?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडी के मामलों में हाल में दिए गए फ़ैसले क्या ईडी की निर्बाध शक्तियों को कम नहीं करते हैं? क्या अब सुप्रीम कोर्ट ने मोदी शासन के कोबरे की विषग्रंथि निकाल दी है?
आखिर पुलिस को ऐसी निरंकुश शक्ति दी ही क्यों गयी है? कैसी है भारतीय न्याय व्यवस्था जिसमें शक के आधार पर किसी व्यक्ति की हर किस्म की आजादी ख़त्म कर दी जाती है?
राज्यसभा से लेकर लोकसभा तक विपक्ष नयी ऊर्जा से भरपूर दिख रहा है। राहुल का जवाब देने पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर मंत्री तक देने उठ रहे हैं। सभापति को सदन से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा? आख़िर इसकी वजह क्या?
झूठो बोलो, बार-बार झूठ बोलो। बेरोजगारी, स्वास्थ्य, महंगाई से लेकर तमाम ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर सरकार का झूठ बार-बार पकड़ा जाता है। वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह झूठ पर क्या कह रहे हैं, जानिएः
रोजमर्रा की सबसे बड़ी ज़रूरत वाली तीन सब्जियों- आलू, प्याज और टमाटर की महंगाई आख़िर बार-बार आसमान क्यों छू लेती है? किसान कभी सब्जियाँ सड़कों पर फेंकने को मजबूर होते हैं तो कभी ग़रीबों की इसको ख़रीदने की क्षमता तक नहीं बच पाती?
क्या चाँद पर उतरने वाला देश, मन्दिर तक जाने वाली सड़क –रामपथ – को भी ठीक से नहीं बनवा सकता? सड़क और रेलवे स्टेशन की चहारदीवारी गिरने का कारण भ्रष्टाचार के अलावा कुछ और हो सकता है?
पीएम मोदी कन्याकुमारी में ध्यान लगाए बैठे हैं और देश के तमाम पत्रकार और चिन्तक उस पर अपनी कलम चला रहे हैं। हर किसी के देखने का नजरिया है। पेश है यह नजरिया। पढ़िएः
चुनाव आयोग पर लगातार गंभीर सवाल क्यों उठ रहे हैं? चुनाव प्रचार में नफ़रती भाषणों पर कार्रवाई से लेकर मतदान के आँकड़े जारी करने में देरी तक को लेकर ईसीआई निशाने पर क्यों है? अब विपक्षी नेता खड़गे पर ही आयोग नाराज़ क्यों?
पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों में कथित उल-जलूल दावों पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की माफी के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। आख़िर किन वजहों से पतंजलि ने ऐसे दावे करने शुरू कर दिए थे?
खेतिहर मजदूर की उत्पादकता एक रुपया है तो मैन्युफैक्चरिंग के श्रमिक की 3.5 रुपये और सेवा क्षेत्र के कर्मचारी की 4.7 रुपये। कमाल काम करने वाले का क्यों नहीं है?
मोदी सरकार का गवर्नेंस मॉडल किसके लिए है? इससे किसको फ़ायदा हो रहा है? मिनरल वॉटर पीने वालों को या फिर दो वक़्त का खाना भी न खा पाने वालों को? वरिष्ठ पत्रकार एन के सिंह बता रहे हैं गवर्नेंस मॉडल का पूरा सच-
नारद घोटाले में सीबीआई ने सत्ताधारी टीएमसी के चार नेताओं को गिरफ्तार किया लेकिन मुख्य अभियुक्त सहित जो अन्य आरोपी केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी में शामिल हो गए उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा क्यों?
देश जब दवा, बेड्स, इलाज, ऑक्सीजन और टीके के अभाव में मौत सामने देख रहा है, देर से ही सही, प्रधानमंत्री के सांत्वना और भरोसे के दो शब्द देशवासियों ने सुने।
कोरोना वायरस की असली शक्ति है मनुष्य के रक्त के आरबीसी में प्राकृतिक मोलिक्यूल—बिलीवरडीन और बिलीरुबिन- जो शरीर में बने एंटीबाडीज को भी रोक देते हैं और स्वयं इस प्रोटीन के साथ जुड़ कर कोरोना को सुरक्षित कर देते हैं।
उत्तर प्रदेश के हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत पिछले दो सालों में निरुद्ध 41 लोगों में (जिनमें 90 फ़ीसदी अल्पसंख्यक थे) 30 की गिरफ़्तारी ग़लत क़रार दी। नौकरशाही को आख़िर हुआ क्या है?
पश्चिम बंगाल की चुनावी रणनीति में दो बड़े किरदार हैं- मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और केंद्र सहित कई राज्यों में विजय पताका फहराने वाली भारतीय जनता पार्टी। पर कौन मज़बूत है?
स्वीडेन की वी-डेम और अमेरिकी एनजीओ फ्रीडम हाउस ने भारत में प्रजातंत्र की स्थिति पहले से ख़राब बताई। सत्ताधारी वर्ग यह नहीं समझता कि वर्तमान दौर में देश की हर ख़बर दुनिया भर में पहुँचती है।
स्वयं गाँधी ने ही नहीं कांग्रेस ने भी राजनीतिक स्वतंत्रता के मुकाबले हमेशा समाज सुधार को, खासकर हिंदू समाज की कुरीतियों पर प्रभावी प्रहार को ख़ारिज या निलंबित रखा।
भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने विगत 8 फ़रवरी को न्यूज़ चैनलों के स्व-नियमन संस्था को लिखा है कि कुछ चैनलों ने अपनी ख़बरों में दलित शब्द का प्रयोग किया है जो प्रोग्राम कोड के तीन उपबंधों का उल्लंघन है।