रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा का उपचुनाव हारने के बाद अब अखिलेश यादव के सामने अपनी निजी प्रतिष्ठा और अपने पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती है। लेकिन क्या वह अपने चाचा शिवपाल यादव को अपने साथ ला पाएंगे?
दिल्ली और पंजाब में जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल इन दिनों गुजरात की सियासी जमीन नाप रहे हैं। क्या वह वाकई आम आदमी पार्टी को गुजरात में जीत दिला पाएंगे?
गुलाम नबी आज़ाद के तल्ख लहजे और तीखे तेवरों को देखते हुए लगता है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर से कांग्रेस का सफाया करने की ठान ली है। लेकिन क्या ऐसा होगा?
क्या झारखंड में ऑपरेशन लोटस के डर से महागठबंधन ने अपने विधायकों को बाहर भेजा है? क्या इससे ऑपरेशन लोटस का खतरा टल जाएगा?
कांग्रेस में चुनाव की तारीखें घोषित हुई हैं तो राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। सवाल है कि अध्यक्ष पद के लिए क्या राहुल खड़े होंगे और ऐसा होगा तो क्या उनके सामने कोई चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत करेगा?
जम्मू कश्मीर कांग्रेस में कुछ दिन पहले गुलाम नबी आज़ाद के इस्तीफे के बाद आए राजनीतिक तूफान के बाद अब हिमाचल कांग्रेस में भूचाल आएगा? आख़िर कांग्रेस में दिक्कत कहाँ है?
मध्य प्रदेश के स्थानीय निकाय के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के सात पार्षदों की जीत के मायने क्या हैं? क्या अब विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी बड़ी खिलाड़ी बनकर उभरेगी?
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत में बड़ी सफलता हासिल कर चुकी बीजेपी की नजर अब दक्षिण के राज्यों पर है। क्या उसे वहां कामयाबी मिलेगी?
क्या पसमांदा मुसलमान बीजेपी के साथ जुड़ेंगे और इनके जुड़ने से बीजेपी को कितना सियासी फायदा 2024 के चुनाव में हो सकता है।
नूपुर शर्मा के बयान पर विवाद के बाद अमरावती और उदयपुर में हत्याएं हो चुकी हैं। आखिर इन हत्याओं को करने के लिए मुसलिम समुदाय के लोगों को कौन उकसा रहा है।
सोनिया और राहुल को ईडी के समन के बाद कांग्रेस सड़क पर जोरदार संघर्ष कर रही है। लेकिन क्या कांग्रेस नेता ईडी से बच पाएंगे?
अगर बीजेपी ने रामपुर से मुख़्तार अब्बास नक़वी को उम्मीदवार बनाया तो उनके लिए यहां से चुनाव जीतना मुश्किल क्यों बताया जा रहा है?
राज्यसभा के लिए होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी की ओर से जिन नेताओं को नामित किया गया है उसमें अब कोई मुसलिम नहीं है। तो क्या बीजेपी मुसलिम मुक्त पार्टी होना चाहती है संसद में?
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कांग्रेस में शामिल होना लगभग तय माना जा रहा है। बेहद खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस को क्या प्रशांत किशोर के पार्टी में आने से कोई फायदा मिलेगा?
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा एक बार फिर उठी है। कांग्रेस के सामने बड़ी राजनीतिक चुनौतियां हैं और अगर प्रशांत किशोर पार्टी में शामिल हुए तो क्या कांग्रेस को इससे कोई फायदा मिलेगा?
शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ के बाद आज़म खान के समर्थकों ने भी अखिलेश यादव से नाराज़गी जताई है। लेकिन सवाल यह है कि मुसलमान सपा को छोड़ने की सूरत में किसके साथ जा सकते हैं?
उत्तर प्रदेश की सियासत में इस बात की जोरदार चर्चा है कि शिवपाल यादव और आज़म ख़ान सपा छोड़ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह निश्चित रूप से अखिलेश यादव के लिए जोरदार झटका होगा
विधान परिषद के चुनाव में सपा का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद इस एक और हार से क्या पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सबक लेंगे?
केंद्र और ज़्यादातर राज्यों में लगभग 50 साल सत्ता में रही कांग्रेस आज सिर्फ़ दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक सिमट कर क्यों रह गई है?
मायावती अब अपने पुराने सिपहसालार गुड्डू जमाली के जरिए आजमगढ़ में अखिलेश यादव को चुनौती दे रही हैं। अगर इस सीट पर बीएसपी जीत जाती है तो यह उसके लिए संजीवनी साबित हो सकती है।
योगी आदित्यनाथ की कोशिश उत्तर प्रदेश के चुनाव में ध्रुवीकरण करने की है और ध्रुवीकरण की मंशा वाले उनके तमाम बयान आए हैं। लेकिन इन बयानों का क्या कोई असर मतदाताओं पर पड़ा है?
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर चुनाव जीतने की रणनीति में क्या बीजपी का किसी मुसलमान को उम्मीदवार बनाना फिट नहीं बैठता है?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम क्या सपा-रालोद गठबंधन का राजनीतिक खेल बिगाड़ेगी? चुनाव से ऐन पहले चर्चा में वह क्यों आ गए?
गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान मिलने के बाद कांग्रेस में फिर से गुटबाजी सामने आ गई है और इस गुटबाजी से पार्टी की किरकिरी हो रही है।
उत्तर प्रदेश में कई बड़े नेता कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं, जिनमें राहुल व प्रियंका के करीबी भी शामिल हैं। ऐसे में राज्य में पार्टी से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की जा सकती।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा, बीएसपी व कांग्रेस जैसे प्रतिद्वंद्वी दलों के मुसलिम उम्मीदवारों के बीच में मुक़ाबले से किसे फायदा होगा? जानिए पहले चरण का हाल।