धारावी आजकल एक बार फिर सुर्खियों में है। यह मुंबई का वह इलाका है जिसे दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती के रूप में जाना जाता है। वजह है पुनर्विकास योजना जिसे लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि पुनर्विकास के नाम पर सरकार अपने चहेते पूँजीपति गौतम अड़ानी पर बेशक़ीमती ज़मीन लुटा रही है। साथ ही, इससे लाखों लोगों का भविष्य ख़तरे में पड़ जाएगा जो दशकों से यहाँ रहते हैं।

धारावी का इतिहास

धारावी सिर्फ एक स्लम नहीं, बल्कि एक जीवंत आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र है। सन 1800 के आसपास यह एक दलदली इलाका भर था, जहाँ मछुआरे और कारीगर बसने लगे थे। सौ साल बाद जब मुंबई का विस्तार गति पकड़ रहा था तो कुम्हार, चमड़ा कारीगर, और छोटे व्यापारी यहाँ बसने लगे। आज धारावी में 8 से 10 लाख लोग 240-259 हेक्टेयर (लगभग 600 एकड़) में रहते हैं।
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यहाँ की अर्थव्यवस्था भी अनोखी है। धारावी में चमड़े, कपड़े, मिट्टी के बर्तन, और रिसाइक्लिंग जैसे उद्योग हर साल लगभग 1 अरब डॉलर (8,000 करोड़ रुपये) का कारोबार करते हैं। 6,000 से ज्यादा छोटी-मझोली इकाइयाँ और 13,000 छोटे बिजनेस यहाँ चलते हैं। इसे "मिनी इंडिया" कहा जाता है, क्योंकि यहाँ गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे कई राज्यों के लोग एकजुट होकर रहते हैं।

धारावी की वैश्विक पहचान 2008 में रिलीज हुई फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर से बनी, जिसे डैनी बॉयल ने निर्देशित किया। इस फिल्म ने धारावी की जिंदगी को बखूबी दिखाया और 8 ऑस्कर अवॉर्ड जीते, जिसमें ए.आर. रहमान को "जय हो" गीत के लिए ऑस्कर मिला। 

1992 में सुधीर मिश्रा निर्देशित फ़िल्म धारावी रिलीज़ हुई थी जिसने इस बस्ती की कहानी को पर्दे पर उतारा था। इस फिल्म में शबाना आज़मी और ओम पुरी की मुख्य भूमिकाएँ थीं, और इसे सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

धारावी पुनर्विकास योजना और विवाद

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यालय ने 28 मई 2025 को घोषणा की कि धारावी मास्टर प्लान को स्वीकार कर लिया गया है। इस परियोजना का कुल अधिसूचित क्षेत्र 251.24 हेक्टेयर है, जिसमें 108.99 हेक्टेयर पुनर्विकास के लिए और शेष बुनियादी ढाँचे व सार्वजनिक सेवाओं के लिए है। इसमें 58,532 आवासीय इकाइयाँ और 13,468 वाणिज्यिक व औद्योगिक इकाइयाँ बनेंगी।

2022 में, अडानी समूह ने 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाकर यह प्रोजेक्ट हासिल किया। यह परियोजना नवभारत मेगा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (NMDPL) के तहत चल रही है, जिसमें अडानी की 80% और महाराष्ट्र सरकार की 20% हिस्सेदारी है। योजना के तहत, 1 जनवरी 2000 से पहले धारावी में रहने वालों को 350 वर्ग फुट के मुफ्त फ्लैट मिलेंगे। लेकिन 2000 के बाद आए लोगों और ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले 1.5-2 लाख किरायेदारों को पुनर्वास से बाहर रखा गया है, जिसका मतलब है कि उन्हें उजाड़ा जा सकता है।

मास्टर प्लान के अनुसार, पुनर्विकास के बाद धारावी की आबादी 10 लाख से घटकर 4.9 लाख रह जाएगी। यानी, आधी आबादी को मुंबई के बाहरी इलाकों, जैसे प्रदूषित देवनार डंपिंग ग्राउंड, में बसाया जा सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
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अडानी को रियायतें

विपक्ष का आरोप है कि अडानी समूह को ठेका देने में सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ। 2018 में, दुबई की सेक्लिंक टेक्नोलॉजीज ने 7,200 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, लेकिन 2020 में कोविड का हवाला देकर टेंडर रद्द कर दिया गया। 2022 में, नई शर्तों के साथ टेंडर निकाला गया, जिसमें अडानी ने 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाकर प्रोजेक्ट हासिल किया। यानी, सरकार को 2,131 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ।

सेक्लिंक ने इसे बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दोनों ने अडानी के पक्ष में फैसला दिया। विपक्ष का कहना है कि टेंडर की शर्तें अडानी के लिए "टेलर-मेड" थीं। इसके अलावा, अडानी ने जीएसटी, सीढ़ियों, और खुले स्थान के नियमों में छूट माँगी है। 255 एकड़ नमक की भूमि और देवनार डंपिंग ग्राउंड जैसी जगहें मुफ्त में दी गई हैं। शिवसेना (UBT) के नेता आदित्य ठाकरे का दावा है कि अडानी को 540 एकड़ धारावी की जमीन और 600 एकड़ अतिरिक्त जमीन मुफ्त में दी जा रही है। 

सभी बिल्डरों को पहले 40% ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट (TDR) अडानी से खरीदने का नियम बनाया गया है, जिसे विपक्ष "TDR घोटाला" बता रहा है।

लैंड ग्रैब का आरोप

विपक्षी दल इस प्रोजेक्ट को "लैंड ग्रैब" बता रहे हैं। शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम मुंबई को अडानी सिटी नहीं बनने देंगे।" कांग्रेस की नेता वर्षा गायकवाड़ ने आरोप लगाया कि लाखों लोगों को धारावी से जबरन उजाड़ा जाएगा, और बदले में अडानी को 14 करोड़ वर्ग फीट निर्माण योग्य क्षेत्र मिलेगा, जो धारावी के कुल क्षेत्रफल से छह गुना ज्यादा है। हाल ही में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी धारावी का दौरा किया और निवासियों के हक की बात उठाई।
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धारावी, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) से सिर्फ 5.5 किलोमीटर दूर है, जो मुंबई का व्यावसायिक केंद्र है। निवासियों को डर है कि धारावी को BKC का हिस्सा बनाने के लिए उन्हें मुंबई के बाहरी इलाकों में भेजा जाएगा।

धारावी का पुनर्विकास एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जो लाखों लोगों की जिंदगी बदल सकता है। लेकिन सवाल यह है कि यह बदलाव किसके लिए है? क्या लाखों किरायेदारों को उजाड़कर धारावी की आत्मा को नुकसान नहीं पहुँचेगा? क्या यह पुनर्विकास मुंबई के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करेगा? मुंबई बीएमसी चुनावों में देरी को देखते हुए, यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी गर्म है। धारावी के निवासियों का भविष्य अधर में लटका है, और यह सवाल अनुत्तरित है कि क्या यह वाकई विकास है, या बेशकीमती शहरी जमीन की लूट की साजिश?