महाराष्ट्र की सियासत में हनी ट्रैप के आरोपों से भूचाल मचा है। बीजेपी नेता प्रफुल्ल लोढ़ा की गिरफ़्तारी के बाद शिवसेना (उद्धव) के सांसद संजय राउत के बयान ने सनसनी मचा दी है। उन्होंने कहा है कि 2022 में उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने में हनी ट्रैप का इस्तेमाल हुआ था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने इन आरोपों के हवा-हवाई करार दिया है लेकिन संजय राउत ने सीबीआई की जाँच की माँग करके मामले को गंभीर बना दिया है।

हनी ट्रैप क्या है?

‘हनी ट्रैप’ एक ऐसा जाल है, जिसमें कोई आकर्षक व्यक्ति (आमतौर पर महिला, लेकिन पुरुष भी हो सकते हैं) जानबूझकर किसी को अपने प्रलोभन में फँसाता है ताकि उससे गोपनीय जानकारी हासिल की जाए, उसे ब्लैकमेल किया जाए, या सियासी फायदा उठाया जाए। साफ़ शब्दों में, यह यौन आकर्षण का फ़रेब है।
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महाराष्ट्र हनी ट्रैप कांड

महाराष्ट्र में हनी ट्रैप का मुद्दा तब सुर्खियों में आया, जब कांग्रेस विधायक और प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने विधानसभा में एक पेन ड्राइव लहराकर सनसनीखेज़ दावा किया कि 72 वरिष्ठ IAS और IPS अफ़सरों और कई मौजूदा व पूर्व मंत्रियों के नाम इस घोटाले से जुड़े हैं। इस दावे ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया।

इस मामले का केंद्र है प्रफुल्ल लोढ़ा जो जलगांव जिले के जामनेर से आने वाला बीजेपी कार्यकर्ता है। लोढ़ा पहले वंचित बहुजन आघाडी (VBA) से जुड़ा था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट रद्द होने के बाद उसने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में बीजेपी जॉइन की थी। 5 जुलाई 2025 को मुंबई के साकीनाका पुलिस स्टेशन ने लोढ़ा को उसके चकाला स्थित 'लोढ़ा हाउस' से गिरफ्तार किया। उन पर पॉक्सो एक्ट के तहत एक 16 वर्षीय लड़की और उसकी सहेली के यौन शोषण का आरोप है। आरोप है कि लोढ़ा ने नौकरी का लालच देकर इन लड़कियों के साथ गलत काम किया, अश्लील तस्वीरें खींचीं और उन्हें धमकाया। इसके अलावा, अंधेरी MIDC पुलिस स्टेशन में उनके ख़िलाफ़ बलात्कार और हनी ट्रैप का दूसरा मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने जलगांव, जामनेर, और पहूर में उनकी संपत्तियों पर छापेमारी की और लैपटॉप, पेन ड्राइव, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए।

एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता एकनाथ खडसे ने दावा किया कि लोढ़ा हनी ट्रैप का मास्टरमाइंड है और उसके पास ऐसी सामग्री (पेन ड्राइव और सीडी) है, जो कई बड़े नेताओं और अफ़सरों को उजागर कर सकती है।

लोढ़ा की गिरफ़्तारी इसलिए भी अहम है, क्योंकि उसे बीजेपी के कद्दावर मंत्री गिरीश महाजन का करीबी माना जाता है। संजय राउत ने एक तस्वीर साझा की, जिसमें महाजन लोढ़ा के हाथ से मिठाई खाते दिख रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि महाजन भी इस रैकेट से जुड़े हो सकते हैं।

संजय राउत ने और भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के चार मंत्रियों और कई वरिष्ठ अफ़सरों के नाम हनी ट्रैप से जुड़े हैं। सबसे सनसनीखेज़ दावा यह था कि 2022 में उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के पतन में हनी ट्रैप का इस्तेमाल किया गया। राउत के मुताबिक, तत्कालीन शिवसेना के चार युवा सांसदों को हनी ट्रैप में फँसाकर ब्लैकमेल किया गया, जिसके चलते वे एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "न कोई हनी है, न कोई ट्रैप।" उन्होंने दावा किया कि सिर्फ़ नासिक में एक मामला सामने आया था, जो बाद में वापस ले लिया गया। लेकिन विपक्ष इस जवाब से संतुष्ट नहीं है और CBI जांच की मांग कर रहा है। राउत ने चुनौती दी कि अगर सरकार सीबीआई जांच कराए, तो "दूध का दूध, पानी का पानी" हो जाएगा।

उद्धव सरकार का गिरना

उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार, जिसमें शिवसेना, कांग्रेस, और एनसीपी शामिल थे, जून 2022 में गिर गयी थी। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने 161 सीटें जीती थीं, लेकिन सत्ता के बँटवारे पर मतभेद के कारण शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस-एनसीपी के साथ MVA बनाकर सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री बने।

लेकिन बीजेपी मौक़े की तलाश में थी। 21 जून 2022 को शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे की बगावत सामने आयी। वे 39 शिवसेना विधायकों और 12 निर्दलीय विधायकों, यानी कुल 51 विधायकों के साथ पहले सूरत और फिर गुवाहाटी चले गए। MVA के पास 172 विधायकों का समर्थन था, लेकिन शिंदे की बगावत के बाद ये संख्या बहुमत से नीचे चली गई। शिंदे गुट ने दावा किया कि MVA सरकार में शिवसेना की विचारधारा से समझौता हो रहा था। 29 जून 2022 को उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया, और 30 जून को एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।
इस बगावत के दौरान "पचास खोखा" शब्द खूब चर्चा में रहा। इसका मतलब है 50 करोड़ रुपये। आरोप है कि विधायकों को खरीदने के लिए भारी रकम दी गई। अब संजय राउत ने यह आरोप भी लगा दिया है कि कुछ को हनी ट्रैप में फँसाकर ब्लैकमेल किया गया और पाला बदलने पर मजबूर कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई करते हुए गंभीर टिप्पणियाँ की थीं। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का फ्लोर टेस्ट का आदेश गलत था, लेकिन चूंकि उद्धव ठाकरे ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था, इसलिए कोर्ट सरकार को बहाल नहीं कर सकता। जनता में ग़ुस्सा था और लोकसभा चुनाव एनडीए बुरी तरह तरह हारा लेकिन इसके बाद 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने चमत्कारिक जीत हासिल की। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बन गये। यह अलग बात है कि राहुल गांधी लगातार महारष्ट्र में चुनावी धांधली होने का आरोप लगा रहे हैं।हनी ट्रैप और चाणक्य

हनी ट्रैप का ज़िक्र प्राचीन भारतीय इतिहास में भी मिलता है। चाणक्य के ग्रंथ अर्थशास्त्र में शत्रु शासक के ख़िलाफ़ विषकन्याओं के इस्तेमाल की व्याप चर्चा है। ये ऐसी प्रशिक्षित महिलाएँ थीं, जिन्हें बचपन से थोड़ा-थोड़ा ज़हर दिया जाता था, ताकि उनका अपना शरीर विष से अप्रभावित रहे लेकिन उनके संपर्क में आने वाला विष के असर में आ जाये। विषकन्याएँ अपनी सुंदरता और चालाकी से शत्रु राजाओं को प्रभावित करती थीं, उनकी योजनाएँ उजागर करती थीं, या ज़रूरत पड़ने पर उन्हें ज़हर देकर खत्म करती थीं। चाणक्य ने जासूसी को राज्य की सुरक्षा का अहम हिस्सा माना और स्त्रियों को इस रणनीति का हिस्सा बनाया।

पुराणों में ऐसी कई कहानियाँ हैं जिनमें कोई अप्सरा ऋषियों की तपस्या भंग करने के लिए भेजी जाती थीं। तपस्या इंद्र के सिंहासन के लिए ख़तरा मानी जाती थी। मेनका और विश्वामित्र की कथा प्रसिद्ध है।

दुनिया में हनी ट्रैप


हनी ट्रैप का इस्तेमाल दुनिया भर में होता रहा है।
माता हारी (प्रथम विश्व युद्ध, 1914-1918): नीदरलैंड की मशहूर नर्तकी माता हारी (असली नाम: मार्गरेटा ज़ेले) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपनी सुंदरता और आकर्षण का इस्तेमाल करके फ्रांस और जर्मनी दोनों के अधिकारियों से जानकारी हासिल करती थीं। माता हारी को 1916 में फ्रांस की खुफिया एजेंसी ने भर्ती किया था लेकिन बाद में शक़ हुआ कि वो जर्मनी के लिए भी जासूसी कर रही थी (डबल एजेंट)। 1917 में, फ्रांसीसी खुफिया एजेंसी ने जर्मन कोडेड संदेशों को इंटरसेप्ट किया, जिसमें माता हारी का "H-21" कोडनेम से जर्मन एजेंट के रूप में उल्लेख किया गया था। 13 फरवरी 1917 को मात हारी को पेरिस में गिरफ्तार किया गया। फ्रांसीसी सैन्य अदालत ने जर्मनी के लिए जासूसी का दोषी पाया, और 15 अक्टूबर 1917 को पेरिस के पास विन्सेन्स में गोली से उड़ा दिया गया। कई इतिहासकार मानते हैं कि माता हारी के खिलाफ सबूत कमज़ोर थे और उसे बलि का बकरा बनाया गया था। 

प्रोफ्यूमो अफेयर (यूके, 1963): ब्रिटेन के युद्ध मंत्री जॉन प्रोफ्यूमो का क्रिस्टीन कीलर नाम की एक युवती के साथ संबंध था, जो सोवियत नौसैनिक अटैची येवगेनी इवानोव की भी मित्र थी। 1963 में यह जानकारी सामने आने पर प्रोफ्यूमो को इस्तीफा देना पड़ा। इसने कंजर्वेटिव पार्टी की हैरॉल्ड मैकमिलन सरकार को गंभीर संकट में डाल दिया, और 1964 में पार्टी चुनाव हार गई।

रोमियो स्पाई (पूर्वी जर्मनी, 1950-1980): पूर्वी जर्मनी की खुफिया एजेंसी स्टासी के प्रमुख मार्कस वुल्फ ने "रोमियो स्पाई" रणनीति विकसित की। आकर्षक पुरुष एजेंटों को पश्चिमी जर्मनी की प्रभावशाली महिलाओं के साथ रोमांटिक संबंध बनाने के लिए भेजा जाता था, ताकि गोपनीय जानकारी हासिल की जाए। इसने पश्चिमी जर्मनी की सुरक्षा और नीतियों को कमज़ोर किया।

मौरिस डेजॉन (सोवियत संघ, 1957-1960): सोवियत संघ में फ्रांस के राजदूत मौरिस डेजॉन को KGB ने हनी ट्रैप में फँसाया। KGB ने महिलाओं का उपयोग करके डेजॉन को रोमांटिक संबंधों में उलझाया। एक नकली "पति" ने उन्हें धमकाया, और KGB ने इस स्थिति का उपयोग ब्लैकमेल के लिए किया। इसने डेजॉन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया और फ्रांस-सोवियत कूटनीति को प्रभावित किया।

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महाराष्ट्र में आगे क्या?

महाराष्ट्र में हनी ट्रैप का मामला अभी गर्म है। नाना पटोले, संजय राउत, और एनसीपी (शरद पवार गुट) के महेश तापसे ने सरकार से सवाल पूछे हैं:
  • इस रैकेट में कितने लोग शामिल हैं?
  • गोपनीय दस्तावेज़ लीक होने का कितना ख़तरा है?
  • सरकार इसकी जांच के लिए क्या कर रही है?
  • जनता का प्रशासन पर भरोसा कैसे बरकरार रहेगा?
ठाणे क्राइम ब्रांच ने तीन गोपनीय शिकायतों के आधार पर जांच शुरू की है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक मामला दर्ज नहीं हुआ। विपक्ष का कहना है कि ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डाल सकता है, जबकि बीजेपी इसे सियासी ड्रामा बता रही है।

महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्य में हनी ट्रैप के इस्तेमाल का आरोप भारतीय राजनीति के पतन को दर्शाता है। "पचास खोखा" और हनी ट्रैप जैसे दावों ने बता दिया है कि भारत का लोकतंत्र गंभीर संकट से गुज़र रहा है।