loader
फोटो साभार: ट्विटर/बीजेपी/वीडियो ग्रैब

पीएम दौरे पर मोरबी पुल हादसे की जगह प्लास्टिक से क्या छुपाया गया?

प्रधानमंत्री मोदी ने मोरबी में पुल हादसे की जगह का जब दौरा किया तो क्या वहाँ कुछ छिपाया गया? आख़िर प्रधानमंत्री जहाँ खड़े थे वहाँ पर प्लास्टिक कवर से क्या ढका हुआ था? विपक्षी दलों से लेकर सोशल मीडिया यूज़रों ने लिखा कि उस प्लास्टिक कवर से उस कंपनी के नाम को ढक दिया गया जिसको पुल हादसे के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। तो क्या सच में प्रधानमंत्री के दौरे से पहले उस कंपनी के नाम वाले बोर्ड को ढका गया? या फिर जैसा कि कुछ बीजेपी से जुड़े लोग या पार्टी समर्थित माने जाने वाले लोग दावा कर रहे हैं, उस बोर्ड को ढका ही नहीं गया?

इस सवाल का जवाब पाने के लिए सबसे पहले उस वीडियो को देखा जा सकता है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के उस हादसे वाली जगह के दौरे को लाइव दिखाया गया है। बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ही वह वीडियो मौजूद है।

इस वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी पुल हादसे वाली जगह पर एक प्लेटफॉर्म पर खड़े हैं। उस प्लेटफॉर्म के ऊपर ही दो छोटे-छोटे बोर्ड दिखते हैं जिसमें 'सीसीटीवी निगरानी' और 'नो सेल्फी ज़ोन' के बारे में लिखा हुआ है। उसके ऊपर एक प्लास्टिक का कवर दिखता है। इसी कवर को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है। 

वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने उसी जगह की दो तसवीरों के कोलाज को ट्वीट किया है। एक तसवीर में प्लास्टिक कवर से ढका बोर्ड का कुछ हिस्सा दिखता है जबकि दूसरी तसवीर में वह बोर्ड पूरा दिखता है। उस बोर्ड पर ओरेवा कंपनी का नाम लिखा है। 

ताज़ा ख़बरें
राजदीप ने ट्वीट कर लिखा है, 'प्रधानमंत्री के दौरे से पहले मोरबी में दुर्घटनास्थल पर गुपचुप तरीक़े से ओरेवा बैनर को ढका जा रहा है। उम्मीद है कि सच्चाई छुपेगी नहीं..।'
लेकिन उनके इस ट्वीट पर ज़बरदस्त प्रतिक्रियाएँ आईं। बीजेपी से सहानुभूति रखने वाले माने जाने वाले ऋषि बागड़ी नाम के यूज़र ने प्रतिक्रिया में एक तसवीर ट्वीट करते हुए लिखा है, 'यह ट्वीट की गई आधिकारिक तसवीर है जहाँ ऐसा कोई कवर अप नहीं देखा गया है।' इस तसवीर में ओरेवा कंपनी के बोर्ड वाला नाम दिखता है। 

हालाँकि बागड़ी ने दावा किया है कि यह आधिकारिक ट्वीट है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया है कि आधिकारिक तसवीर कहाँ जारी किया गया है। बहरहाल, रिपोर्ट लिखे जाने तक पीएमओ ने ऐसी तसवीर को ट्वीट नहीं किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक साथ ट्वीट की गई कुछ तसवीरों में से एक तसवीर उसी ऐंगल से ली गई है जैसा कि ऋषि बागड़ी ने ट्वीट किया है। लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा ट्वीट की गई तसवीर में ओरेवा कंपनी वाला बोर्ड नहीं दिखता है।

बिल्कुल वही तसवीर बीजेपी युवा मोर्चा की कार्यकर्ता नेहा जोशी ने ट्वीट किया है और राजदीप सरदेसाई पर निशाना साधा है। 
बीजेपी समर्थकों से बार-बार निशाना साधे जाने के बाद राजदीप सरदेसाई ने उस वीडियो को भी ट्वीट किया है जिसमें कि ओरेवा कंपनी के नाम वाले बोर्ड को ढका जा रहा है। उस वीडियो में साफ़ तौर पर कुछ लोगों को उस बोर्ड को ढकते देखा जा सकता है। इसके साथ ही सरदेसाई ने बीजेपी आईटी सेल का नाम लेते हुए कहा है कि 'गाली देना बंद करें' और 'हम इससे डरेंगे नहीं'।

बहरहाल, कंपनी के उस बोर्ड को प्लास्टिक से ढके जाने पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर निशाना साधा है। आप ने ट्वीट किया है कि 'बीजेपी की ओरेवा को बचाने की कोशिश अब भी जारी है। कंपनी बदनाम ना हो इसलिए कंपनी के नाम को ढक दिया गया है। एफ़आईआर में भी कंपनी और उसके मालिकों का कोई ज़िक्र नहीं है। क्या भाजपा को इनसे भारी चंदा मिला है?'

बता दें कि मोरबी में ब्रिटिश काल का पुल मार्च से नवीनीकरण के लिए बंद था। 26 अक्टूबर को ही इसे खोला गया था। लेकिन जनता के लिए फिर से खुलने के ठीक चार दिन बाद रविवार शाम को यह टूट गया। इस हादसे में 130 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। अधिकारियों के मुताबिक़ मरने वालों में कम से कम 47 बच्चे, कई महिलाएँ और बुजुर्ग शामिल हैं। दस्तावेजों से पता चलता है कि पुल को समय से पांच महीने पहले जनता के लिए खोल दिया गया था। पुल का नवीनीकरण करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप ने पुल खोलने से पहले नागरिक अधिकारियों से फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं लिया। कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इसकी पुष्टि मोरबी नगरपालिका एजेंसी के प्रमुख संदीपसिंह झाला ने की है। 

कंपनी रखरखाव और मरम्मत के लिए पुल को कम से कम आठ से 12 महीने तक बंद रखने के अपने अनुबंध से बाध्य थी। पुलिस ने एक प्राथमिकी में कहा कि पिछले हफ्ते पुल को खोलना गंभीर रूप से गैर जिम्मेदार और लापरवाह संकेत था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

गुजरात से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें