पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान के हैकरों ने भारतीय रक्षा से जुड़ी वेबसाइटों पर हमले किए। उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों से जुड़ी कई वेबसाइटों पर साइबर हमले किए और संवेदनशील डेटा चुराया है। इन हमलों में सेना, वायुसेना और रक्षा मंत्रालय से संबंधित वेबसाइटें निशाना बनाई गईं। रिपोर्ट है कि रक्षा अधिकारियों के लॉग इन क्रेडेंशियल के चोरी होने की भी आशंका है। भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने इन दावों की पुष्टि नहीं की है, लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार एक उच्च-स्तरीय जाँच शुरू कर दी गई है।

यह हमला 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ है। इसमें 26 लोगों की जान गई थी। कहा जा रहा है कि ये साइबर हमले पाकिस्तान की हाइब्रिड युद्ध रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सेना ने कहा है कि एक्स पर एक हैंडल 'पाकिस्तान साइबर फोर्स' ने कथित तौर पर मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज और मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के संवेदनशील डेटा तक पहुंच प्राप्त की।

'पाकिस्तान साइबर फोर्स', 'साइबर ग्रुप HOAX1337', और 'नेशनल साइबर क्रू' जैसे पाकिस्तान स्थित हैकर समूहों ने सोशल मीडिया और डार्क वेब पर दावा किया कि उन्होंने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़ी कई वेबसाइटों को हैक किया। इनमें इंडियन मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस यानी एमईएस, मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज, और आर्मी पब्लिक स्कूल की वेबसाइटें शामिल हैं। हैकरों ने दावा किया कि उन्होंने इन वेबसाइटों से गोपनीय दस्तावेज, कर्मियों की जानकारी और तकनीकी डेटा चुराया है।

हैकर समूह 'पाकिस्तान साइबर फोर्स' ने कहा है, 'हमने भारतीय रक्षा प्रणाली को कमजोर करने के लिए कई वेबसाइटों को निशाना बनाया और महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की। यह कश्मीर के लिए हमारी लड़ाई का हिस्सा है।' हैकरों ने कुछ वेबसाइटों पर भड़काऊ संदेश भी छोड़े, जिनमें पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए भारत के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की गईं। मिसाल के तौर पर एपीएस नागरोटा और सुंजवान की वेबसाइटों पर संदेश छोड़े गए, जिसमें लिखा था, 'कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा होगा।'

मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कुछ मामलों में हैकरों ने फिशिंग ईमेल और मैलवेयर का उपयोग करके संवेदनशील सिस्टम में घुसपैठ की कोशिश की। विशेष रूप से भारतीय वायुसेना के प्लेसमेंट संगठन और आर्मी वेलफ़ेयर हाउसिंग ऑर्गनाइजेशन के डेटाबेस को निशाना बनाने की कोशिश की गई।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसाप एक अधिकारी ने कहा, 'हमने इन हमलों को रीयल-टाइम में डिटेक्ट किया और तुरंत कार्रवाई शुरू की। कोई भी ऑपरेशनल या गुप्त नेटवर्क प्रभावित नहीं हुआ।' प्रभावित वेबसाइटों को तुरंत ऑफ़लाइन कर दिया गया, और उनकी बहाली का काम शुरू हो गया है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि हैकरों की गतिविधियों को पाकिस्तानी शहरों, विशेष रूप से रावलपिंडी और कराची, से जोड़ा गया है। 

हाल ही में महाराष्ट्र साइबर विभाग ने खुलासा किया कि पहलगाम हमले के बाद से भारत पर 10 लाख से अधिक साइबर हमले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से कई पाकिस्तान, मध्य पूर्व, इंडोनेशिया, और मोरक्को से आए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'ये हमले डिजिटल क्षेत्र में तनाव बढ़ाने की साज़िश का हिस्सा हैं।'

ये साइबर हमले पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद आए। इसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी।

इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कई क़दम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना और पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा सलाहकारों को "पर्सोना नॉन ग्राटा" घोषित करना शामिल है। पाकिस्तान ने जवाब में भारत के लिए अपनी हवाई सीमा बंद कर दी और द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने की धमकी दी।

साइबर हमलों को जानकार पाकिस्तान की 'हाइब्रिड युद्ध' रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। 'हाइब्रिड युद्ध' में आतंकवाद, सूचना युद्ध और साइबर हमले शामिल हैं। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नेटवर्क में सेंध लगाने में नाकाम रहा, इसलिए उसने सार्वजनिक वेबसाइटों को निशाना बनाया ताकि भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।

हैकरों ने इन्हें निशाना बनाया

रिपोर्टों के अनुसार भारतीय अधिकारियों ने साफ़ किया है कि कोई भी ऑपरेशनल या गुप्त डेटा प्रभावित नहीं हुआ। प्रभावित वेबसाइटें मुख्य रूप से सार्वजनिक पहुंच वाली थीं, जैसे स्कूलों और कल्याणकारी संगठनों की।

पाकिस्तानी हैकर समूहों का इतिहास

ट्रांसपेरेंट ट्राइब (APT36), IOK हैकर और टीम इनसैन पीके जैसे पाकिस्तान आधारित हैकर समूह लंबे समय से भारत के ख़िलाफ़ साइबर हमले कर रहे हैं। माना जाता है कि ट्रांसपेरेंट ट्राइब को पाकिस्तानी सेना से समर्थन प्राप्त है। इसने 2023-2024 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, और भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड जैसे रक्षा उपक्रमों को निशाना बनाया था। ये समूह फिशिंग ईमेल, मैलवेयर, और ElizaRAT जैसे रिमोट एक्सेस ट्रोजन का इस्तेमाल करते हैं। 'इंटरनेट ऑफ खलीफा' के नाम से जाने जाने IOK हैकर ने पहलगाम हमले के बाद अपनी गतिविधियां तेज कर दीं। इस समूह ने APS रानीखेत की वेबसाइट पर पाकिस्तानी झंडा और 'कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा होगा' जैसे संदेश पोस्ट किए।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये हमले भारत की रक्षा प्रणाली को कमजोर करने की कोशिश हैं। पाकिस्तानी हैकरों के दावों ने भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं। हालाँकि भारतीय एजेंसियों ने इन हमलों को नाकाम करने में सफलता हासिल की है, लेकिन जाँच से यह साफ़ होगा कि क्या कोई संवेदनशील डेटा चोरी हुआ है। यह मामला भारत-पाकिस्तान के बीच डिजिटल युद्ध के एक नए दौर की शुरुआत हो सकता है। रक्षा मंत्रालय और साइबर एजेंसियाँ इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने होंगे।