लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूस से तेल खरीद बंद करने के दावे को लेकर जोरदार हमला बोला। कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "पीएम मोदी ट्रंप से डरते हैं।" विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्रंप के बयान का गुरुवार को जवाब दिया है।
राहुल गांधी ने अपनी पोस्ट में ट्रंप के दावों पर पांच प्रमुख प्वाइंट गिनाए, जिन्हें वे मोदी सरकार की "डर" का प्रमाण मानते हैं। उन्होंने लिखा:
  • ट्रंप को भारत के रूस से तेल न खरीदने का फैसला करने और घोषित करने की अनुमति देना।
  • बार-बार अपमान झेलने के बावजूद ट्रंप को बधाई संदेश भेजते रहना।
  • वित्त मंत्री की अमेरिका यात्रा रद्द करना।
  • शर्म एल-शेख सम्मेलन में भाग न लेना।
  • ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रंप का विरोध न करना।

ट्रंप के बयान पर विदेश मंत्रालय का जवाब 

ट्रम्प की रूसी तेल संबंधी टिप्पणियों के बीच विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत तेल और गैस आयात में उपभोक्ता हितों को प्राथमिकता देता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा- "भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। अस्थिर ऊर्जा के दौर में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी लगातार प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियाँ पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं। स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं। इसमें हमारी ऊर्जा आपूर्ति का आधार व्यापक बनाना और बाज़ार की स्थितियों के अनुरूप विविधता लाना शामिल है। जहाँ तक अमेरिका का सवाल है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है। वर्तमान प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को गहरा करने में रुचि दिखाई है। इस पर चर्चाएँ जारी हैं।"
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ट्रंप ने भारत-रूस तेल पर क्या कहा

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने  संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि उन्हें पीएम मोदी ने "भरोसा" दिया है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा, हालांकि यह "तुरंत" संभव नहीं है। उन्होंने कहा, "अगर भारत रूस का तेल नहीं खरीदेगा, तो संघर्ष को समाप्त करना बहुत आसान हो जाएगा।" ट्रंप ने जोर देकर कहा, "उन्होंने मुझे आज (बुधवार) आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे... जल्द ही रूस से तेल खरीदने ती प्रक्रिया खत्म हो जाएगी। हम राष्ट्रपति पुतिन से यही चाहते हैं कि वे इसे रोक दें।" उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध समाप्त होने के बाद भारत रूस फिर से अपने कारोबार को शुरू कर सकते हैं। साथ ही, ट्रंप ने चीन पर भी दबाव डालने की बात कही कि वह भी ऐसा ही करे।

क्या नरेंद्र मोदी वाकई ट्रंप से "डरते" हैं? 

राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से डरते हैं। यह बात पूरी तरह सही तो नहीं है लेकिन कुछ तथ्य इसे आधार देते हैं। सबसे बड़ा आधार तो यही है कि ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवा दिया। जबकि मोदी ने कहा था कि किसी तीसरे देश ने मध्यस्थता नहीं की। लेकिन ट्रंप ने फिर अपने दावे को दोहराया और ऐसा दावा वो 44 बार कर चुके हैं। लेकिन मोदी ट्रंप की तारीफ पर तारीफ करते जा रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि ट्रंप बार-बार मोदी को फंसाने वाला बयान देते हैं। 
एक और आधार पेश है। ट्रंप और मोदी एक दूसरे को मित्र बताते हुए नहीं थकते। यहां तक मोदी ने ट्रंप के चुनाव में वोट दिलाने के लिए अमेरिका जाकर उनका प्रचार किया। इतनी गहरी मित्रता के बावजूद ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगा दिया। बाद में इसे 50 फीसदी तक बढ़ा दिया। हाल ही में वित्त मंत्री की यूए यात्रा इन्हीं हालात में रद्द कर दी गई। इसी तरह शर्म अल-शेख में ग़ज़ा पर हुए सम्मेलन में मोदी जाने से चूक गए या जानबूझकर पीछे हट गए। यह पूरा आयोजन ट्रंप के इशारे पर हुआ। आखिर क्या वजह से मोदी ने इतना अच्छा अवसर खो दिया। जहां वो विश्न नेताओं के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर खड़े होते। 

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने इसका फायदा उठा लिया। मोदी की विदेश नीति बहुपक्षीय रही है। रूस के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हुए अमेरिका को संतुलित करना। ट्रंप का दावा अगर सत्यापित न हुआ, तो यह भारत की स्वायत्तता को मजबूत करेगा। यानी भारत अगर रुस से तेल खरीदता रहेगा तो वो एक मजबूत देश कहलाएगा। लेकिन अगर भारत ने वाकई रूस से तेल खरीदना बंद किया  तो यह सरकार की कूटनीतिक असफलता उजागर करेगा। विपक्ष के इस दावे को बल मिलेगा कि मोदी वाकई ट्रंप से डरते हैं। 
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कुल मिलाकर, यह अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव का संकेत है, जहां ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति भारत की ऊर्जा सुरक्षा को चुनौती दे रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को रूस पर निर्भरता कम करने की जरूरत नहीं है। ट्रंप के दबाव में झुकना राष्ट्रीय हितों के खिलाफ होगा।