FATF की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पुलवामा और गोरखनाथ जैसे आतंकी हमलों की फंडिंग में ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म्स का उपयोग किया गया। जानिए, आतंकवाद का यह नया पैंतरा कितना ख़तरनाक।
वैश्विक आतंकी फंडिंग पर नज़र रखने वाली संस्था एफ़एटीएफ़ ने आतंकवादी फंडिंग पर एक सनसनीखेज रिपोर्ट दी है। ऑनलाइन पेमेंट और ई-कॉमर्स से लोगों को आटा-नमक ही नहीं मिल रहा, आतंकवादियों को हथियारों की सप्लाई भी हो रही है! भुगतान में आम लोगों को सुविधा ही नहीं बढ़ी, बल्कि आतंकवादियों की फंडिंग के लिए दुरुपयोग भी आसान हो गया! दरअसल, एफ़एटीएफ़ ने खुलासा किया है कि 2019 के पुलवामा और 2022 के गोरखनाथ मंदिर हमलों में आतंकियों ने अमेजन और पेपैल जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर हथियार और फंड जुटाए। यह चौंकाने वाला सच डिजिटल युग में आतंकवाद की नई रणनीति को दिखाता है।
एफ़एटीएफ़ ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि आतंकी संगठन अब हथियार और विस्फोटक सामग्री जुटाने के लिए ई-कॉमर्स और ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म्स का सहारा ले रहे हैं। ‘कॉम्प्रिहेंसिव अपडेट ऑन टेररिस्ट फाइनेंसिंग रिस्क्स’ नामक इस रिपोर्ट में 2019 के पुलवामा आतंकी हमले और 2022 के गोरखनाथ मंदिर हमले का ज़िक्र करते हुए बताया गया है कि कैसे आतंकियों ने अमेजन और पेपैल जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया।
पुलवामा हमले में अमेजन का दुरुपयोग
एफ़एटीएफ़ की रिपोर्ट के अनुसार, 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में 40 सीआरपीएफ़ जवानों की शहादत हुई थी। इस हमले को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था। जांच में पता चला कि हमले में इस्तेमाल इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस यानी आईईडी का एक प्रमुख घटक एल्युमिनियम पाउडर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन से खरीदा गया था। इस पाउडर ने विस्फोट की तीव्रता को कई गुना बढ़ाने में मदद की।
भारतीय जांच एजेंसियों ने इस हमले के लिए 19 लोगों को गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत आरोपी बनाया, जिनमें सात विदेशी नागरिक शामिल थे। इनमें आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार भी शामिल था, जो पुलवामा जिले का स्थानीय निवासी था। जाँच में आतंकियों के ठिकानों, वाहनों और अन्य संपत्तियों को भी जब्त किया गया। एफ़एटीएफ़ ने इस मामले को मिसाल के तौर पर पेश करते हुए चेतावनी दी कि आतंकी संगठन अब सामान्य ऑनलाइन खरीदारी के ज़रिए अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
गोरखनाथ मंदिर हमले में पेपैल, वीपीएन का इस्तेमाल
रिपोर्ट में 3 अप्रैल 2022 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर पर हुए हमले का भी ज़िक्र है। इस हमले में इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रभावित एक अकेले हमलावर ने सुरक्षा कर्मियों पर दरांती से हमला किया था। हमलावर को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। वित्तीय जाँच में खुलासा हुआ कि इस व्यक्ति ने पेपैल के जरिए 44 अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के माध्यम से लगभग 6.69 लाख रुपये विदेशी खातों में आईएसआईएस समर्थकों को भेजे थे। इसके अलावा उसने 10,323 रुपये विदेशी स्रोत से प्राप्त किए थे।
हमलावर ने अपनी पहचान छिपाने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी वीपीएन सेवाओं का उपयोग किया। इससे उसका आईपी पता ट्रैक करना मुश्किल हो गया। जांच में यह भी सामने आया कि उसने अपने बैंक खाते से वीपीएन सेवा के लिए भुगतान किया था। पेपैल ने संदिग्ध लेनदेन के कारण हमलावर के खाते को निलंबित कर दिया, जिससे आगे की अवैध गतिविधियां रुक गईं।
एफ़एटीएफ़ ने गोरखनाथ मंदिर पर हुए हमले को एकल आतंकी हमले के लिए ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के दुरुपयोग की मिसाल बताया।
आतंकी फंडिंग में स्टेट स्पॉन्सरशिप
एफ़एटीएफ़ ने अपनी रिपोर्ट में स्टेट स्पॉन्सरशिप यानी सरकार प्रायोजित आतंकवाद को भी एक बड़ा ख़तरा बताया। हालाँकि, रिपोर्ट में किसी देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों को वित्तीय और लॉजिस्टिक सहायता देने का आरोप लगाया है। पुलवामा हमले के बाद भारत ने एफ़एटीएफ़ से पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की थी और हाल ही में अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले के बाद भी भारत ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने के लिए औपचारिक अनुरोध किया था।
रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ देश आतंकी संगठनों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, और लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रहे हैं। यह सहायता आतंकियों को धन जुटाने और उनकी गतिविधियों को प्रबंधित करने में मदद करती है। भारत ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया है, विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के संदर्भ में।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का बढ़ता ख़तरा
एफ़एटीएफ़ ने चेतावनी दी है कि आतंकी संगठन अब पुराने वित्तीय प्रणालियों की जगह डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर रहे हैं। ई-कॉमर्स साइट्स के ज़रिए हथियार, रसायन, और 3D प्रिंटिंग सामग्री खरीदी जा रही है। इसके अलावा, पीयर-टू-पीयर पेमेंट सिस्टम और क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग फंड जुटाने के लिए किया जा रहा है। कुछ संगठन किताबें, कपड़े, और संगीत जैसी प्रचार सामग्री बेचकर भी धन जुटा रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि ऑनलाइन पेमेंट सेवाएं पारंपरिक वायर ट्रांसफर की तुलना में कम पारदर्शी होती हैं, जिससे लेनदेन करने वालों की पहचान छिपाना आसान हो जाता है। आतंकी संगठन छद्म नामों या फर्जी खातों का उपयोग करके अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। यूरोपोल के अनुसार, इस तरह की सेवाएं सभी प्रकार के आतंकी संगठनों द्वारा उपयोग की जा रही हैं।
रिपोर्ट का क्या होगा असर?
एफ़एटीएफ़ की इस रिपोर्ट को आतंकी फंडिंग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक अहम कदम माना जा रहा है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत है। भारत ने लगातार एफ़एटीएफ़ से अपील की है कि वह उन देशों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करे जो आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं।
एफ़एटीएफ़ ने अपने 200 सदस्य देशों को सलाह दी है कि वे वीपीएन, पीयर-टू-पीयर पेमेंट लेनदेन, और ई-कॉमर्स गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखें। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो डिजिटल इकोसिस्टम आतंकवाद का एक बड़ा माध्यम बन सकता है। अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद एफ़एटीएफ़ ने आतंकी फंडिंग पर एक बड़े विश्लेषण की घोषणा की थी, जिसका यह रिपोर्ट हिस्सा है।
एफ़एटीएफ़ की यह रिपोर्ट डिजिटल युग में आतंकवाद की नई चुनौतियों को सामने लाती है। पुलवामा और गोरखनाथ मंदिर हमलों के उदाहरणों ने यह साफ़ कर दिया है कि आतंकी संगठन अब तकनीक का उपयोग करके अपनी गतिविधियों को और अधिक ख़तरनाक बना रहे हैं। यह खुलासा न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए एक चेतावनी है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सख्त निगरानी और नियंत्रण की ज़रूरत है।