गुरुवार को देश भर में रामनवमी का त्योहार मनाया गया। इसके साथ ही नौ दिन तक चलने वाले चैत्र-नवरात्र का भी समापन हो गया। रामनवमी एक ऐसा त्योहार है जिसको समाज ने पिछले दस पंद्रह सालों में ही स्वीकार किया है। रामनवमी को एक त्योहार के रूप में समाज में स्थापित करने के लिए आरएसएस लगातार प्रयास करता रहा है। जिसमें वह सफल भी हो गया है। अगर कहा जाए कि रामनवमी आरएसएस का त्योहार है, जिसे समाज के त्योहार पर मान्यता दिलाने की कोशिश की जा रही है, जिसमें वह पूरी तरह से सफल भी हो गया है। उसकी सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रामनवमी उन राज्यों में भी मनाया जाता है, जहां राम अभी भी मुख्य रूप से स्थापित और मान्य नहीं हैं। इसमें दक्षिण भारत के राज्य प्रमुख हैं। लेकिन रामनवमी को हिंदुओं के त्योहार के तौर पर प्रचारित करके बीजेपी ने इसे राष्ट्रीय त्योहार बना दिया गया है।
रामनवमी: देश के कई भागों में हिंसा, पुलिस ने कहा स्थिति नियंत्रण में
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- 31 Mar, 2023
रामनवमी के बढ़ते उत्साह के साथ इसमें निकाले जाने वाले जुलूस और धार्मिक यात्रायें एक समुदाय के खिलाफ नफरत के प्रचार का भी औजार बनता जा रही हैं। यही वजह कि जुलूस के दौरान होने वाली सांप्रदायिक हिंसा की खबरें भी बढ़ती जा रही हैं।
