सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इलेक्टोरल बॉन्ड के फ़ैसले के खिलाफ प्रेसिडेंशियल रेफ़रेंस के माध्यम से इसको प्रभावी होने से रोकने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने मामले की दोबारा सुनवाई होने तक फ़ैसले को रोकने के लिए भी कहा। एससीबीए के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने मुर्मू को लिखे पत्र में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसे फैसले नहीं देने चाहिए जो संवैधानिक गतिरोध पैदा करें और संसद की महिमा को कमजोर करें।
चुनावी बॉन्ड फ़ैसला रोकने लिए SC बार अध्यक्ष ने राष्ट्रपति को ख़त क्यों लिखा?
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- 12 Mar, 2024
चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को रोकने के लिए केंद्र सरकार ही प्रयास नहीं कर रही है, बल्कि कुछ और लोग भी इस काम में जुटे हैं। जानिए, आख़िर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने राष्ट्रपति को पत्र क्यों लिखा।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष का यह ख़त तब आया है जब इलेक्टोरल बॉन्ड काफ़ी विवादों में रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़-साफ़ और सीधे-सीधे कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड अवैध था, अपारदर्शी था और असंवैधानिक था। सुप्रीम कोर्ट ने दावा किया कि पोल बॉन्ड योजना चंदे को गुमनाम करके भारतीय मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। वैसे, बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए इस इलेक्टोरल बॉन्ड पर सरकार को छोड़कर सबको कभी न कभी आपत्ति रही। 2019 में चुनाव आयोग ने भी कड़ी आपत्ति की थी। सुप्रीम कोर्ट में जब मामला गया तो इसने भी लगातार सवाल पूछे। विपक्षी पार्टियाँ गड़बड़ी का आरोप लगाती रहीं। चुनाव सुधार से जुड़े लोग इसको पीछे ले जाने वाला क़दम बताते रहे। तो सवाल है कि ऐसा होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट बार अध्यक्ष इलेक्टोरल बॉन्ड के पक्ष में ऐसा क़दम क्यों उठा रहे हैं?