हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति और तबादले पर सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम का फ़ैसला एक बार फिर विवादों में है। यह विवाद साम्प्रदायिक हिंसा और नागरिक स्वतंत्रता पर फ़ैसले देने के लिए प्रसिद्ध जस्टिस मुरलीधर के दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा कोर्ट में तबादले को लेकर है। दिल्ली हाई कोर्ट के वकीलों ने इस फ़ैसले का विरोध किया है। कुछ महीने पहले ही कॉलीजियम के उस फ़ैसले पर सवाल उठे थे जिसमें इसने सरकार की आपत्ति पर गुजरात के जस्टिस अकील कुरैशी से जुड़ी अपनी ही सिफ़ारिश को पलट दिया था। इससे पहले जस्टिस विजया ताहिलरमानी के तबादले पर भी विवाद हुआ था। इस फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी सवाल उठाए थे। तो सवाल है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ही कॉलीजियम के फ़ैसले पर क्यों सवाल उठाते रहते हैं और इसके बावजूद एक के बाद एक ऐसी सिफ़ारिशें कॉलीजियम कर देता है?