Adani Motilal Nagar Redevelopment Project: सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में अडानी समूह की ₹36,000 करोड़ की मोतीलाल नगर पुनर्विकास परियोजना को मंज़ूरी दे दी है। वहां के लोगों की याचिकाएँ खारिज कर दी गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुंबई के गोरेगांव (पश्चिम) में मोतीलाल नगर कॉलोनियों के निवासियों द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया। इस तरह महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) द्वारा नियुक्त डेवलपर अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के लिए 36,000 करोड़ रुपये के पुनर्विकास प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया। यह प्रोजेक्ट 143 एकड़ में फैले मोतीलाल नगर को आधुनिक आवासीय परिसर में बदलने का लक्ष्य रखता है। मुंबई शहर में कई सारी ऐसी बस्तियों के पुनर्विकास का अभियान चल रहा है। अधिकतर टेंडर अडानी समूह की कंपनी को मिल रहे हैं। इससे पहले धारावी जैसे विवादित प्रोजेक्ट का टेंडर भी अडानी समूह की कंपनी को मिल चुका है।
मोतीलाल नगर के निवासियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 25 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी। जहां उनके रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया गया था। यह याचिका मार्च 2025 के हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ थी, जिसमें MHADA को मोतीलाल नगर के पुनर्विकास के लिए निर्माण और विकास एजेंसी (C&DA) के माध्यम से काम करने की अनुमति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में MHADA की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह जमीन MHADA की है और इसे राज्य द्वारा विशेष प्रोजेक्ट का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि सभी कॉलोनी निवासियों से अनुमति लेने में लंबा समय लगेगा, जिससे प्रोजेक्ट में देरी होगी। अदालत ने वहां के निवासियों की याचिका खारिज करते हुए प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी।
प्रोजेक्ट का विवरण
मोतीलाल नगर 1, 2 और 3 कॉलोनियों का यह पुनर्विकास प्रोजेक्ट 1960 के दशक में MHADA ने विकसित किया था। यह देश का सबसे बड़ा पुनर्विकास प्रोजेक्ट है। पूरी जगह 5.84 लाख वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली है। इसमें 3,372 पात्र आवासीय इकाइयों, 328 कमर्शल इकाइयों और 1971 स्लम एक्ट के तहत 1,600 पात्र स्लम बस्तियों का पुनर्वास शामिल है। पात्र निवासियों को 1,600 वर्ग फुट के आधुनिक अपार्टमेंट और गैर-आवासीय किरायेदारों को 987 वर्ग फुट के कमर्शल स्थान मुफ्त में प्रदान किए जाएंगे।
MHADA को अदानी समूह द्वारा 3.97 लाख वर्ग मीटर में मकान और अन्य कमर्शल स्पेस बनाकर सौंपेगा। यह प्रोजेक्ट सात साल की अवधि में पूरा होगा और इसमें पांच एकड़ का केंद्रीय पार्क, स्कूल, अस्पताल, सार्वजनिक परिवहन और मनोरंजन सुविधाएं शामिल होंगी, जो इसे '15 मिनट सिटी' के कॉन्सेप्ट पर तैयार करेंगी।
अडानी समूह की भूमिका
अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (APPL) ने मार्च 2025 में बोली प्रक्रिया में सबसे अधिक निर्मित क्षेत्र की पेशकश कर लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को पछाड़ा, जो 2.6 लाख वर्ग मीटर की पेशकश के साथ दूसरा सबसे बड़ा बोलीदाता था। MHADA ने इस महीने की शुरुआत में अडानी समूह के साथ एक समझौता किया। यह प्रोजेक्ट अडानी समूह का मुंबई में दूसरा बड़ा पुनर्विकास प्रोजेक्ट है, जो पहले से ही धारावी स्लम पुनर्विकास और बांद्रा रिक्लेमेशन में 17 एकड़ की परियोजना को संभाल रहा है।
जनता की चिंता क्या है
मोतीलाल नगर के निवासियों ने इस पूरे पुनर्विकास प्रोजेक्ट में पारदर्शिता की कमी को लेकर मीडिया से चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें अंत तक प्राइवेट डेवलपर की नियुक्ति के बारे में जानकारी नहीं थी। शिव सेना (UBT) के विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा, "प्रोजेक्ट में पारदर्शिता होनी चाहिए। अगर कोई कमी होगी, तो हम इस मुद्दे को उठाएंगे।" यहां के लोगों को यही पता था कि महाडा (MHADA) यहां पर मकान बनाएगा। लेकिन महाडा ने बाद में नाटकीय तरीके से अडानी समूह की कंपनी को काम सौंप दिया।
MHADA की स्थिति
MHADA के उपाध्यक्ष और सीईओ संजीव जायसवाल ने कहा, "मोतीलाल नगर के निवासियों का लंबे समय से चला आ रहा सपना अब साकार हो रहा है। हम इस प्रोजेक्ट को देश का सबसे बेहतरीन पुनर्विकास प्रोजेक्ट बनाने का लक्ष्य रखते हैं, जिसमें पारदर्शिता, गुणवत्ता और सामाजिक प्रतिबद्धता सुनिश्चित होगी।" MHADA ने यह भी स्पष्ट किया कि वह परियोजना पर पूर्ण नियंत्रण रखेगा और जमीन का स्वामित्व उसके पास रहेगा। डेवलपर बिना MHADA की अनुमति के जमीन को गिरवी रखने, वित्त जुटाने या अधिकार हस्तांतरित करने में सक्षम नहीं होगा।
हालांकि पूरा प्रोजेक्ट यहां के निवासियों के हिसाब से सही नहीं है। क्योंकि प्राइवेट डेवलपर अडानी समूह बाद में अपनी शर्तें बदल देगा। महाडा और सरकार उससे लिखित में यह शर्त नहीं मनवा पाएं कि उसे भविष्य में तमाम शर्तों को बदलने की अनुमति नहीं होगी। आमतौर पर डेवलपर बाद में शर्तें बदल देते हैं।