लॉकडाउन के दौरान जिन प्रवासी मज़दूरों के सामने भूखों मरने की नौबत आई थी और कहा गया कि उनके वापस अपने-अपने राज्यों में लौटने के बाद भी खाने का संकट होगा, उनके प्रति राज्य सरकारें संवेदनहीन साबित हुई हैं। इन लौटे प्रवासी मज़दूरों को दिया जाने वाला मुफ़्त अनाज राज्यों ने या तो बाँटा ही नहीं या फिर बहुत कम बाँटा है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन क़रीब 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों के लिए केंद्र सरकार ने दो महीने तक प्रति माह 5 किलो मुफ्त अनाज देने की घोषणा की थी। लेकिन कम से कम 11 राज्यों ने जून महीने में एक फ़ीसदी भी राशन नहीं बाँटा। इसमें बीजेपी शासित गुजारत भी शामिल है। सबसे ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों वाले राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में भी ऐसी ही स्थिति है।
प्रवासी मज़दूरों के लिए मुफ़्त अनाज मिला, पर 11 राज्य जून में 1% भी नहीं बाँट पाए
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- 2 Jul, 2020
आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को मुफ़्त अनाज बाँटने में राज्य सरकारें विफल साबित हुई हैं। इनमें गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार भी शामिल हैं।
