भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते (ट्रेड डील) इस हफ्ते संभव है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मजबूत संबंधों का हवाला देते हुए व्हाइट हाउस ने इस डील को दोनों देशों के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बताया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि यह डील जल्द ही अंतिम रूप ले सकती है।इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा देने की योजना है। हालांकि अभी भी कई मुद्दे ऐसे हैं जिन पर या तो सहमति नहीं बन पा रही है या फिर अमेरिका अपने हितों को लेकर अड़ा हुआ है।
अमेरिका द्वारा पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariff) पर रोक 9 जुलाई को खत्म होने वाली है। भारत से ट्रेड डील करने गई टीम ने तमाम मतभेदों को सुलझाने, विशेष रूप से कृषि जैसे संवेदनशील मुद्दों पर, तथा अंतरिम व्यापार समझौते के लिए वार्ता को अंतिम रूप देने के लिए वाशिंगटन की अपनी यात्रा को आगे बढ़ा दिया है। यानी टीम यूएस में ही रुकी हुई है। हालांकि वहां 30 जून को उसका अंतिम दिन था।
व्हाइट हाउस ने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक "महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी" बताते हुए कहा कि नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित व्यापार सौदा घोषणा के "बहुत करीब" है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बारे में न्यूज एजेंसी एएनआई के एक सवाल के जवाब में कहा, "भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक बहुत ही रणनीतिक सहयोगी बना हुआ है और राष्ट्रपति के प्रधानमंत्री मोदी के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं, और उनके संबंध ऐसे ही बने रहेंगे।" फाइनेंशियल टाइम्स ने मंगलवार को खबर दी है कि यह ट्रेड डील इसी हफ्ते हो सकती है।
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पिछले महीने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वाशिंगटन व्यापार बाधाओं को पूरी तरह से हटाने और भारतीय बाजारों तक बेहतर पहुंच के लिए दबाव बना रहा है, हालांकि उन्होंने माना कि यह पूरी तरह से संभव नहीं हो सकता है। ट्रंप ने कहा-  "भारत के साथ मुझे लगता है कि हम एक ऐसे समझौते पर पहुंचने जा रहे हैं, जहां हमें जाने और व्यापार करने का अधिकार होगा। अभी, यह प्रतिबंधित है। आप वहां नहीं जा सकते, आप इसके बारे में सोच भी नहीं सकते। हम पूरी तरह से व्यापार बाधाओं को हटाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अकल्पनीय है और मुझे यकीन नहीं है कि ऐसा होने जा रहा है। लेकिन इस समय, हम इस बात पर सहमत हैं कि भारत जाकर व्यापार करना चाहिए।" 

भारत को होने वाले फायदे

इस ट्रेड डील से भारत को कई आर्थिक और रणनीतिक लाभ हो सकते हैं। मसलन अगर अमेरिका भारतीय उत्पादों पर टैरिफ कम करता है, तो टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भारत का निर्यात बढ़ सकता है। वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-मई अवधि में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.78% बढ़कर 17.25 अरब डॉलर हो चुका है। इस डील से यह और बढ़ सकता है। 
अमेरिका से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और निर्यात नियंत्रण में ढील से भारत के AI, सेमीकंडक्टर, और जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा। इससे भारत की तकनीकी बुनियादी ढांचा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा। दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक करना है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, रोजगार सृजन होगा, और उद्योगों को नए अवसर प्राप्त होंगे। 
यह डील भारत-अमेरिका के बीच भू-राजनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगी, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में। ट्रेड डील की प्रगति से भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मकता देखी गई है। निफ्टी और सेंसेक्स में हाल की बढ़त इसकी उम्मीदों से जुड़ी है।

भारत-यूएस के बीच अनसुलझे मुद्दे 

दोनों देशों के बीच कुछ ऐसे मुद्दे भी जो अनसुलझे रह सकते हैं। क्योंकि दोनों देश कुछ मुद्दों पर अपने हितों को प्रमुखता दे रहे हैं। भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों में सख्त रुख अपनाया है, क्योंकि ये क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था और किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका की जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों और डेयरी उत्पादों पर टैरिफ छूट की मांग के कारण यह मुद्दा डील को जटिल बना रहा है।

टैरिफ और जवाबी शुल्क

अगर 9 जुलाई 2025 तक डील अंतिम रूप नहीं लेती, तो अमेरिका 26% अतिरिक्त टैरिफ फिर से लागू कर सकता है, जिससे भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकता है। 10% बेसलाइन टैरिफ अभी भी लागू है, और भारत इसे पूरी तरह हटाने की मांग कर रहा है। डील में देरी पर यह भी एक वजह बताई जा रही है।
तकनीक ट्रांसफर पर मतभेदः भारत की तकनीकी पहुंच की मांग को अमेरिका पूरी तरह स्वीकार नहीं कर रहा है। उसने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा और बौद्धिक संपदा नियमों का हवाला दिया है।

भारत यूएस डील पर चीन का प्रभाव 

अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के संदर्भ में, भारत यह देख रहा है कि अमेरिका के साथ डील से उसका चीन के साथ व्यापार प्रभावित न हो। चीन ने उन देशों को सख्त कार्रवाई की धमकी दी है, जो अमेरिका के साथ ऐसी डील करते हैं, जिससे उसका नुकसान हो।
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बहरहाल, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि दोनों देश एक फायदेमंद रास्ते पर हैं, और कभी भी अंतरिम समझौता हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्तावित ट्रेड डील से द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह डील कृषि, ऑटोमोबाइल, प्रौद्योगिकी, और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होगी, लेकिन भारत के लिए कृषि और डेयरी क्षेत्रों में सावधानी बरत रहा है। भारत को निर्यात वृद्धि, तकनीकी उन्नति, और रणनीतिक साझेदारी जैसे लाभ मिल सकते हैं, लेकिन टैरिफ, कृषि, और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे मुद्दे अनसुलझे रह सकते हैं। दोनों देश 9 जुलाई की समयसीमा से पहले एक अंतरिम समझौते पर पहुंचने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, जिससे शेयर बाजार और आर्थिक स्थिरता को भी बढ़ावा मिलेगा।