बिहार के दलित आंदोलन में हीरा डोम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण एवं सराहनीय है। वह आज भी उतनी ही मज़बूती लिए हुए है। हीरा डोम ने दलितों की पीड़ा एवं संवेदना को (अपनी कविता) ‘अछूत की शिकायत’ से अभिव्यक्ति दी। भोजपुरी में लिखी यह कविता ‘सरस्वती’ पत्रिका के 1914 के अंक में प्रकाशित हुई थी। इस कविता में उस समय जो दलितों की पीड़ा थी, समाज में भेदभाव था, दलितों को लेकर जो अमानवीय व्यवहार था उसे सशक्त अभिव्यक्ति दी है।