मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार में पुलिस पर एक डीएसपी के ही साले के कत्ल का इल्जाम लगा है। भोपाल पुलिस ने दो पुलिस वालों के खिलाफ हत्या सहित कई गंभीर धाराओं में 11 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की है। दोनों पुलिस वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

मामला राज्य की राजधानी भोपाल का है। घटना पिपलानी थाना क्षेत्र में हुई। आरोप है कि उदित गायकी नामक युवक (21 साल) को पुलिस वालों ने इतना मारा कि उसकी जान चली गई। मृतक भोपाल के भेल क्षेत्र का रहने वाला था। अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। पिता बीएचईएल में नौकरी करते हैं, जबकि मां शिक्षक है। मृतक का जीजा, मध्य प्रदेश के बालाघाट में डीएसपी पद पर पदस्थ है। पूरे घटनाक्रम को लेकर मृतक उदित के दोस्तों और दर्ज की गई एफआईआर में, कई प्रकार के झोल हैं।

खबरों के अनुसार उदित ने वीआईटी आष्टा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। बीते दो माह से वह बेंगलुरु में नौकरी तलाश रहा था। दावा किया गया है उसे 8 लाख रुपये पैकेज वाली नौकरी मिलने जा रही थी। अगले तीन दिनों में उसका इंटरव्यू था। इसी नौकरी एवं इंटरव्यू के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज लेने हेतु उदित भोपाल आया था।
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भोपाल आने के बाद गुरुवार 9 अक्टूबर की शाम आष्टा के अपने दोस्तों से मिला था। बाद में इसी दिन देर शाम भोपाल के दोस्तों से मुलाकात हुई थी। रात 11 बजे कुछ दोस्त, पार्टी के लिए इकट्ठा हुए थे। उदित के अलावा अक्षत, इशान, ऋषभ, दीपेश और आदित्य ने इंद्रपुरी में पार्टी की थी।

आरोप है कि पार्टी के बाद (10 तारीख लग चुकी थी) रात करीब डेढ़ बजे जैसे ही उदित को लेकर दो दोस्त घर छोड़ने रूके, वैसे ही पुलिस पहुंची। बाइक से पहुंचे दो पुलिस वालों ने कार से उतारकर उदित से मारपीट शुरू कर दी। प्रतिकार करने पर पुलिस वालों ने उदित को जमकर पीटा।

आरोप यह भी है कि अत्याधिक मारपीट के बाद उदित की सूचना पर दोस्त वापस पहुंचे तो उदित उल्टियां करता मिला। दोस्त उसे लेकर अस्पताल निकले। रास्ते में उदित के शरीर में हरकतें बंद हो गईं। पहले निजी नर्सिंग होम और बाद में, दोस्त उसे लेकर एम्स पहुंचे। जांच के बाद डॉक्टरों ने उदित को मृत घोषित कर दिया।

मृतक के दोस्तों एवं परिजनों का आरोप है कि पुलिस द्वारा की गई जबरदस्त पिटाई के अलावा छोड़ने के लिए 10 हजार रुपयों की मांग पुलिस वालों द्वारा की गई थी।

एफआईआर में झोल ही झोल!

इस घटना को लेकर आलोचना झेल रहे मुख्यमंत्री के निर्देश पर 11 अक्टूबर को पिपलानी पुलिस ने बीएनएस 2023 की धारा 115 (2), 103 (1) और बीएनएस 2023 की धारा 3 (5) के अंतर्गत पिपलानी थाने में पदस्थ आरक्षक सौरभ आर्य तथा संतोष बामनिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

एफआईआर में मृतक और उसके दोनों दोस्तों के नशे में धुत्त होने की बात लिखी गई है। मृतक को संदिग्ध बताया गया है। दावा किया गया है कि कार में ऊंची आवाज में गाने चलाने की वजह गश्त के दौरान पुलिस पूछताछ के लिए पहुंची थी।

पूछताछ के दरमियान उदित कार से उतरने के बाद एक गली में भागा था। पुलिस वाले उसके पीछे भागे थे। भागते वक्त उदित, रास्ते में खड़े एक वाहन से टकराया था। गिर गया था। उठाने पर गाली-गलौच की। ज्यादा गालियां बकने और रौब दिखाने पर, पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। पैरों पर डंडे मारे।
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पीएम रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज कहानी दूसरी!

मृतक की शार्ट पीएम रिपोर्ट में मौत की वजह पैनक्रियाज को गंभीर चोटें आने सहित अन्य मूंदी (मारपीट की वजह से) चोटें लगने से मारे जाने संबंधी रिपोर्ट दी गई है। घटनास्थल के समीप लगे सीसीटीवी फुटेज भी सामने आये हैं। इन फुटेजेस में पुलिस वाले उदित की बेरहमी से पिटाई करते नजर आ रहे हैं।

अपराधी को बख्शेंगे नहीं: सीएम

एफआईआर के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव का बयान आया है। उन्होंने बयान में कहा है, ‘अपराध करने वाला कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाएगा।’ सरकारी बयान में यह भी बताया गया है, मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही भोपाल में मारपीट से मौत के इस मामले में दो पुलिसकर्मियों पर हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया है।

मप्र पुलिस निरंकुश और भ्रष्ट: कांग्रेस

मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता भूपेन्द्र गुप्ता का आरोप है, ‘राज्य की पुलिस, निरंकुशता और भ्रष्टाचार की सभी हदें पार कर रही है। राज्य की सरकार इसे रोकने में असफल है। मोहन यादव के पास गृह महकमे सहित दर्जन भर विभाग हैं। हर महकमे में ऐसे ही हाल हैं। मुख्यमंत्री की कोई सुन नहीं रहा है। हर तरफ अराजकता और भ्रष्टाचार का बोलबाला है।’
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सिवनी केस: 11 पुलिस वाले सस्पेंड

मध्य प्रदेश के सिवनी में एक अन्य मामले में महिला डीएसपी पूजा पांडेय सहित 11 पुलिस वालों को सस्पेंड किया गया है। संस्पेंड करने की ये कार्रवाई 9 से 11 अक्टूबर 2025 के बीच हुई है। सिवनी मामला भी बेहद चौंकाने एवं राज्य सरकार को शर्मसार करने वाला है। राज्य के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। अभी जांच चल रही है।

मसला कुछ यूं है कि कटनी से नागपुर के लिए 2.96 करोड़ रुपये की खेप गत दिवस रवाना हुई थी। पुलिस पाइंट पर जांच के दौरान, कार से ये राशि बरामद हुई थी। राशि हवाला की थी। इस राशि को लेकर राज्य के एक रसूखदार भाजपा नेता पर संदेह की सुई घूमी हुई है। आरोप है कि पुलिस ने कार्रवाई के बजाय मांडवली कर ली। आरोपी पक्ष और पुलिस के बीच ‘समझौते’ के बाद राशि आधी-आधी बंट गई। राशि के 1.47-1.47 करोड़ के दो हिस्से हुए। हवाला राशि ले जा रहे लोग, हिस्सा-बांट के बाद मौके से अपना हिस्सा लेकर रवाना हो गए। आगे जाकर राशि गिनी गई तो कम निकली। लोग लौटे। पूरी राशि वापस करने की मांग उठी। जमकर झंझट हुई।

सूत्रों ने बताया कि बाद में हिस्सा-बांट को लेकर पुलिस वालों में अलग से झंझट हुई। पूरा मामला बाहर आ गया। मामला मीडिया ने उठाया तो हंगामा मच गया। भोपाल एक्शन में आया और जांच बैठाई गई। जबलपुर के एसएसपी आयुष गुप्ता को जांच अधिकारी बनाया गया है। वे जांच कर रहे हैं। फिलहाल पूरा मामला निलंबन तक ही सीमित है। बेहद गंभीर मामले में अब तक आरोपियों के खिलाफ एफआईआर नहीं हुई है।

सूत्रों ने बताया है कि इस मामले में पुलिस ने कई तरह की गलतियां की हैं। हिस्सा बांटने के पहले हवाला की राशि की जब्ती बता दी गई थी। इस राशि को जब्त कर मालखाने में रखा जाना भी दर्शा दिया गया था। मगर सौदेबाजी के बाद हिस्सा-बांट हो गया था।

सूत्रों का कहना है पूरे मामले की बारीकी से जांच होगी तो हरेक परत खुल जायेगी। आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाना भी बेहद आसान हो जायेगा।

देवा पादरी मामले में एसआई सरेंडर

गुना जिले में देवा पादरी की पुलिस पिटाई से मौत का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। मसले की जांच सीबीआई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट मामले को सुन रहा है।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पुलिस वालों की गिरफ्तारी में, हीला-हवाली पर मध्य प्रदेश सरकार के साथ राज्य पुलिस को भी जोरदार फटकार लगाई थी।

आरोपी पुलिस वालों की गिरफ्तारी के लिए ईनाम का एलान हुआ था। समय सीमा दी गई थी। कहा गया था कि 8 अक्टूबर 2025 तक आरोपियों को पकड़ा जाए।

मामले के आरोपी सब इंस्पेक्टर उत्तर सिंह ने बीते दिनों आत्म समर्पण किया है। जबकि तत्कालीन थाना प्रभारी संजीत मवई अभी भी फरार बताया जा रहा है।