1959 में भारत पहुँचने के बाद डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था, ‘दूसरे देश मैं एक पर्यटक की तरह जाता हूँ, लेकिन भारत आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा जैसा है। भारत वह भूमि है, जिसने सामाजिक बदलाव के लिए अहिंसा के तरीके को अपनाया और जिसका प्रयोग हमारे लोगों ने मॉन्टगोमरी, अलाबामा और दक्षिण अमेरिका के दूसरे इलाक़ों में किया और हमें लगा कि यह तरीका बहुत प्रभावी और स्थायी है, यह काम करता है।’