किसी भारतीय को बताने की ज़रूरत नहीं है कि हमारा लोकतंत्र क़रीब एक साल से लॉकडाउन में है। कोविड-19 महामारी ने केवल इस सच्चाई को और उघाड़ दिया है। वैकल्पिक आख्यान को छोड़ भी दें तो यह राजनैतिक लॉकडाउन मुख्यतः विपक्षी दलों के प्रतिरोध न कर सकने की अक्षमता का परिणाम है। अपनी चुनावी सफलता से उत्साहित, नरेंद्र मोदी-अमित शाह शासन एक ऐसा राजनीतिक ब्रह्मांड का निर्माण करने की कोशिश कर रहा है जिसमें निरंतर फ़ोटो खिंचवाने के मौक़े हों, जो चापलूसी के सहारे चल रहा हो, और जहाँ रचनात्मक प्रतिरोध का कोई निशान भी न हो जो एक सच्चे लोकतंत्र में सैद्धान्तिक असहमति पैदा करता है।