(नेहरू का लेख ‘इस मशाल को कौन थामेगा’ के कुछ अंश जो उनके मरणोपरांत 31 मई 1964 को हिंदुस्तान अख़बार में प्रकाशित हुआ था।)
नेहरू: जब समाज सोचता नहीं तो वो गूँगे को चुनता है या फिर डिक्टेटर को
- विचार
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- 28 May, 2021

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 27 मई को 57वीं पुण्यतिथि के अवसर पर।
इस लेख में, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा कलमबद्ध की गई बातों को केवल एक प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बात के तौर पर ही अगर हम देखते हैं तो यह हमारी कमजोरी या एक सीमित मानसिकता का ही प्रमाण होगा। उनके इस लेख को पढ़ते समय हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वो इतिहास बोध से लबरेज एक महान अध्येता, गहरी समझ रखने वाले एक स्वप्नदृष्टा, एक लेखक, कुछ मात्रा में पत्रकार, एक विचारक और भारत को बेपनाह मोहब्बत करने वाले व्यक्ति थे।
जनतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लेते हुए एक नेता कैसे जनता का शिक्षण, प्रशिक्षण करता है और उन्हें जागरूक बनाता है वो यहाँ मुझे दिखाई देते हैं। यह अलग बात है कि आज का दौर इसमें कितना सक्षम है।