क्या बीस साल बाद एक बार फिर से किसी सरकार की वापसी होगी? क्या योगी आदित्यनाथ बीजेपी के पिछले रिकॉर्ड को दोहराएंगे? ऐसे बहुत से सवालों के साथ यूपी के विधानसभा के दो आखिरी चरणों में वोट डाले जाएंगे। इन दो चरणों में 111 सीटों पर वोट डाले जाने है। 2017 में बीजपी ने 75 सीटें हासिल की थी । इन चरणों में जातीय आधारित राजनीतिक दलों की मौजूदगी भी दिखाई दी थी।
ये दो चरण यह भी तय करेंगे कि क्या अखिलेश यादव का सामाजिक समीकरणों को साधने का प्रयोग सफल होगा? क्या छोटे छोटे राजनीतिक दलों से समाजवादी पार्टी का गठबंधन उनको सीटों की बड़ी तादाद दे पाएगा? या बीजेपी अपने पुराने राजनीतिक समीकरणों के साथ लौट रही है?
उत्तर प्रदेश क्या बदलाव की ओर बढ़ रहा है?
- राजनीति
- |
- |
- 3 Mar, 2022

यह चुनाव ना केवल अखिलेश की छवि बदलने में मदद कर सकता है बल्कि उन्हें पार्टी का एकमेव नेता बना देगा जिसे चुनौती देना मुश्किल होगा और इसके बाद लखनऊ से दिल्ली का रास्ता भी खुल सकता है। इस बार किसी बड़ी पार्टी के साथ दोस्ती करने के बजाय सपा ने छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन किया है जिससे उसे गैर-यादव ओबीसी वोट मिलने की भी उम्मीद है।
इनमें जहां गोरखपुर मंडल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का तो वाराणसी मंडल प्रधानमंत्री मोदी का क्षेत्र है जबकि आजमगढ़ का इलाका अखिलेश यादव का माना जाता है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अखिलेश यादव ने इन चुनावों में ना केवल अपनी और पार्टी की छवि को बदलने की कोशिश की है बल्कि चुनाव जीतने के हर संभव उपाय को आजमाया है।