पीएम मोदी के सबसे बड़ा एनजीओ कहने के बाद आरएसएस पर सवाल क्यों उठने लगे हैं? कांग्रेस ने पूछा है- यदि यह एक एनजीओ है तो इसका यूनिक आईडी क्या है? यह किस क़ानून के तहत पंजीकृत है?
लाल क़िले से पीएम मोदी ने आरएसएस को 'दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ' कहकर क्या संघ की ही बड़ी फजीहत करा दी है? आरएसएस की अब लोग कुंडली निकाल रहे हैं। कांग्रेस ने तो सीधे पीएम मोदी से पूछा है कि यदि यह एनजीओ है तो इसका रजिस्ट्रेशन आईडी क्या है? केरल कांग्रेस ने आरएसएस की एनजीओ की स्थिति, इसकी पंजीकरण स्थिति, वित्तीय पारदर्शिता और विदेशी योगदान (रेगुलेशन) अधिनियम यानी एफ़सीआरए लाइसेंस के बारे में सवाल दागे हैं। इसके साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या आरएसएस वास्तव में दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है। सोशल मीडिया पर इस संगठन के इतिहास और अन्य संस्थाओं से इसके जुड़ाव की जानकारी खंगाल रहे हैं और तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं।
आरएसएस के बारे में इन सवालों को जानने से पहले यह जान लें कि प्रधानमंत्री मोदी ने आख़िर स्वतंत्रता दिवस पर क्या कहा। उन्होंने अपने भाषण में कहा, 'एक सौ साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ था, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। राष्ट्र की सेवा में सौ साल का गौरवशाली, स्वर्णिम अध्याय है... आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है, एक प्रकार से।' उन्होंने RSS की व्यक्ति निर्माण और राष्ट्र निर्माण में समर्पण की सराहना की। पीएम के इस भाषण के बाद से ही आलोचना हो रही है कि जिस आरएसएस पर कभी प्रतिबंध लगा था और जिसका नाम कभी लाल क़िले से नहीं लिया गया था उसकी मोदी ने जमकर तारीफ़ की। केरल कांग्रेस ने पीएम के बयान पर तीखा हमला बोला और आरएसएस की एनजीओ की स्थिति पर कई सवाल उठाए।
केरल कांग्रेस के छह बड़े सवाल
पंजीकरण की स्थिति: यदि आरएसएस एक एनजीओ है तो इसका यूनिक आईडी क्या है? यह किस क़ानून के तहत पंजीकृत है - सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, ट्रस्ट एक्ट, या कंपनीज एक्ट?
पंजीकरण प्राधिकरण: आरएसएस का पंजीकरण प्रमाणपत्र किस रजिस्ट्रार या सरकारी प्राधिकरण ने जारी किया?
वित्तीय पारदर्शिता: क्या आरएसएस आयकर विभाग या रजिस्ट्रार के पास अपनी वार्षिक रिटर्न दाखिल करता है? इसका वार्षिक आय और व्यय का विवरण कहां उपलब्ध है?
NGO-DARPAN पोर्टल: क्या आरएसएस ने नीति आयोग के NGO-DARPAN पोर्टल पर पंजीकरण कराया है, जो सरकारी सहायता प्राप्त एनजीओ के लिए अनिवार्य है?
FCRA लाइसेंस: क्या आरएसएस के पास विदेशी योगदान प्राप्त करने के लिए FCRA लाइसेंस है? यदि हां, तो इसके विवरण क्या हैं?
लेखा-जोखा: पिछले पांच वर्षों के आरएसएस के ऑडिटेड खातों को नागरिक कहाँ देख सकते हैं?
केरल कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि आरएसएस एक अपंजीकृत संगठन है, जो भारत की सत्ता की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन जवाबदेही के दायरे से बाहर है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 2021 में भी इसी तरह के सवाल उठाए थे, जब उन्होंने अयोध्या में एक भूखंड सौदे और राजस्थान में कथित कमीशन सौदे का हवाला देते हुए आरएसएस की पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे।
क्या आरएसएस एक एनजीओ है?
आरएसएस की आधिकारिक स्थिति के अनुसार, यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है, जो राष्ट्र निर्माण और हिंदू संस्कृति के प्रचार के लिए काम करता है। हालाँकि, यह साफ़ नहीं है कि आरएसएस किसी विशिष्ट क़ानून के तहत पंजीकृत है या नहीं। कई विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं का कहना है कि आरएसएस ने कभी भी खुद को औपचारिक रूप से एनजीओ के रूप में पंजीकृत नहीं कराया।
नीति आयोग द्वारा संचालित NGO-DARPAN पोर्टल उन संगठनों के लिए पंजीकरण अनिवार्य करता है जो सरकारी अनुदान प्राप्त करते हैं। लेकिन आरएसएस के इस पोर्टल पर पंजीकृत होने का कोई रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, एफ़सीआरए लाइसेंस के बिना कोई संगठन विदेशी योगदान प्राप्त नहीं कर सकता। आरएसएस ने कभी भी एफ़सीआरए लाइसेंस होने का दावा नहीं किया, और सरकारी रिकॉर्ड में भी इसका कोई ज़िक्र नहीं मिलता।
पीएम मोदी के दावे के बावजूद दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ कौन सा है, इस पर कोई एकराय नहीं है। हालाँकि, बांग्लादेश रूरल एडवांस्ड कमिटी यानी BRAC, ऑक्सफ़ैम इंटरनेशनल और वर्ल्ड वीजन इंटरनेशनल जैसे कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों को उनके वैश्विक प्रभाव और वित्तीय आकार के आधार पर सबसे बड़े एनजीओ में गिना जाता है। बांग्लादेश में स्थापित एक विकास संगठन BRAC 2023 में 1 बिलियन डॉलर से अधिक के वार्षिक बजट के साथ दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ माना जाता है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काम करता है।
आरएसएस की तुलना में इन संगठनों का वित्तीय और संचालन डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और ये एफ़सीआरए जैसे नियमों का पालन करते हैं। आरएसएस के पास ऐसी कोई सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण इसे सबसे बड़ा एनजीओ कहना विवादास्पद है।
आरएसएस किस तरह की संस्था है?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस भारत में 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित एक संगठन है, जिसे यह स्वयं को एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन के रूप में परिभाषित करता है। इसका घोषित मुख्य उद्देश्य हिंदू राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, राष्ट्रीय एकता और चरित्र निर्माण को बढ़ावा देना है। आरएसएस का दावा है कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और समाज में अनुशासन, सेवा भाव, और एकता को प्रोत्साहित करने के लिए काम करता है।
आरएसएस का कहना है कि यह एक गैर-राजनीतिक, स्वैच्छिक संगठन है जो हिंदू संस्कृति और मूल्यों को मजबूत करने पर केंद्रित है। इसका वैचारिक आधार हिंदुत्व है, जिसे यह भारत की सांस्कृतिक पहचान के रूप में देखता है। आरएसएस स्वयंसेवकों पर आधारित है, जो इसके दैनिक कार्यों और गतिविधियों में भाग लेते हैं। संगठन के पास औपचारिक सदस्यता का सिस्टम नहीं है, बल्कि स्वयंसेवकों के समर्पण पर निर्भर करता है।
भले ही आरएसएस खुद को एक सांस्कृतिक संगठन कहता है, कुछ आलोचक इसे एक राजनीतिक संगठन मानते हैं, क्योंकि यह भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार के अन्य संगठनों के साथ वैचारिक रूप से जुड़ा हुआ है। इसकी गतिविधियों और हिंदुत्व के प्रचार को लेकर समय-समय पर विवाद भी उठते रहे हैं।
आरएसएस को औपचारिक रूप से भारत में एनजीओ के रूप में पंजीकृत नहीं किया गया है, और यह एफ़सीआरए या सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पारदर्शी वित्तीय लेखा-जोखा नहीं रखता।
आरएसएस पर समय-समय पर विभिन्न आरोप लगते रहे हैं। कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों जैसे विपक्षी दल आरएसएस पर हिंदुत्व के नाम पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हैं। केरल में जहां आरएसएस और सीपीएम के बीच हिंसक झड़पें होती रही हैं कांग्रेस ने आरएसएस को विभाजनकारी संगठन करार दिया। कांग्रेस इस पर वित्तीय पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाती रही है। आरएसएस को भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक आधार माना जाता है। विपक्ष का आरोप है कि RSS अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की नीतियों को प्रभावित करता है, लेकिन जवाबदेही से बचता है। कांग्रेस नेताओं ने RSS पर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान न देने और भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध करने का आरोप लगाया।
आरएसएस को दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ बताने वाला पीएम मोदी का बयान एक ओर जहाँ संगठन के समर्थकों के लिए गर्व का विषय है, वहीं विपक्ष ने इसे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ और आरएसएस की पारदर्शिता पर सवाल उठाने का अवसर बना लिया है। केरल कांग्रेस के सवालों ने आरएसएस की कानूनी स्थिति, वित्तीय पारदर्शिता और एफ़सीआरए जैसे मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है। हालाँकि, आरएसएस की ओर से अभी तक इन सवालों का कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है। आरएसएस पर लगने वाले सांप्रदायिकता और अपारदर्शिता के आरोप इस विवाद को और गहरा रहे हैं।