AIADMK नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी (EPS) ने स्पष्ट किया कि भाजपा के साथ गठबंधन सिर्फ 2026 के तमिलनाडु चुनावों के लिए है। यह एक तरह से अमित शाह के बयान का खंडन है। लेकिन ईपीएस ने ऐसा क्यों किया, जानिएः
अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का खंडन किया है। पलानीस्वामी ने स्पष्ट किया कि 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन केवल चुनावी है। इसमें सत्ता साझेदारी या गठबंधन सरकार का कोई इरादा नहीं है। यह बयान अमित शाह के उस दावे के पांच दिन बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी और एआईएडीएमके मिलकर 2026 के चुनाव लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे।
पिछले हफ्ते चेन्नई में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शाह ने घोषणा की थी कि बीजेपी और एआईएडीएमके 2026 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बैनर तले एक साथ लड़ेंगे, और यह गठबंधन ईपीएस के नेतृत्व में तमिलनाडु में सरकार बनाएगा। शाह ने यह भी संकेत दिया था कि यह एक गठबंधन सरकार होगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तमिलनाडु में 1967 के बाद से डीएमके और एआईएडीएमके दोनों ने कई दलों के साथ गठबंधन किए हैं, लेकिन उन्होंने कभी गठबंधन सरकार नहीं बनाई। उन्होंने कहा, "यहां तक कि जब डीएमके के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त विधायक नहीं थे, तब भी उन्होंने अपने गठबंधन सहयोगियों का समर्थन लेकर अल्पमत सरकार बनाई। तमिलनाडु के लोग गठबंधन सरकार की अवधारणा से परिचित नहीं हैं और उन्हें इस तरह के दलों के एकीकरण पर संदेह रहता है।"
एआईएडीएमके और बीजेपी का गठबंधन 2023 में टूट गया था, जब एआईएडीएमके ने बीजेपी तमिलनाडु के पूर्व अध्यक्ष के. अन्नामलाई के "टकरावपूर्ण रवैये" का हवाला देकर गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला किया था। हालांकि, हाल के महीनों में दोनों दलों के बीच फिर से गठबंधन की अटकलें तेज हो गई थीं। मार्च 2025 में ईपीएस और शाह की दिल्ली में मुलाकात ने इन अटकलों को और हवा दी। 11 अप्रैल को शाह ने औपचारिक रूप से गठबंधन की घोषणा की, और उसी दिन बीजेपी ने अन्नामलाई को तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष पद से हटाकर नैनार नागेंद्रन को नया अध्यक्ष नियुक्त किया।
ईपीएस का यह बयान तमिलनाडु की राजनीति में एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह उनकी पार्टी की स्वायत्तता और नेतृत्व को मजबूत करने का प्रयास है। विश्लेषकों का मानना है कि ईपीएस का यह रुख यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि गठबंधन में एआईएडीएमके की प्रमुख भूमिका बनी रहे। साथ ही, यह बयान बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी के भीतर और समर्थकों के बीच किसी भी असंतोष को कम करने का प्रयास भी हो सकता है।
हालांकि, बीजेपी की ओर से अभी तक ईपीएस के इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन ने कहा कि इस मामले पर शाह और पलानीस्वामी मिलकर फैसला लेंगे।
एआईएडीएमके और बीजेपी का गठबंधन 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, ईपीएस का गठबंधन सरकार से इनकार और केवल चुनावी गठबंधन पर जोर देना दोनों दलों के बीच भविष्य में तनाव का कारण बन सकता है। तमिलनाडु की राजनीति में यह गठबंधन कितना प्रभावी होगा, यह आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा।