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केंद्र सरकार ने भी पीएम की सुरक्षा चूक की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई

गृह मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, "पीएम की सुरक्षा में चूक के कारण वीवीआईपी को गंभीर सुरक्षा जोखिम का सामना करना पड़ा।" फिरोजपुर में उनकी निर्धारित रैली के स्थल से महज 10 किमी दूर पंजाब में एक फ्लाईओवर पर पीएम के काफिले के फंसने के दृश्यों ने देश को आश्चर्यचकित कर दिया, जब बीजेपी ने पंजाब सरकार पर पीएम के प्रति "हत्या का इरादा" रखने का आरोप लगाया। पार्टी ने आरोप लगाया कि राज्य द्वारा पुलिस और प्रदर्शन कर रहे किसानों के सहयोग से इस चूक को सावधानीपूर्वक अंजाम दिया गया। बीजेपी ने पंजाब पुलिस के "आंतरिक मेमो" जारी किए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि खराब मौसम की वजह से यात्रा में अंतिम समय में बदलाव का सुझाव दिया गया है। यह भी कहा गया कि "किसानों के धरने की संभावना है ... कृपया आवश्यक डायवर्जन योजना बनाएं।"

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अब इस मामले ने यह रुख ले लिया है कि पंजाब में प्रधानमंत्री की जान को खतरा था। यह रुख खुद पीएम के बयान की वजह से बना। इसी लाइन पर बीजेपी नेताओं के बयान आये हैं। 

राज्य में कांग्रेस ने अपनी पुलिस का जबरदस्त तरीके से बचाव किया है, जो अब विधानसभा चुनावों के लिए कुछ ही महीनों के लिए एक राजनीतिक घमासान में बदल गया है। मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी की सरकार, जिन्होंने अभी तीन महीने पहले पदभार ग्रहण किया था, पर किसानों के विरोध के बारे में खुफिया जानकारी के बावजूद वैकल्पिक मार्ग नहीं बनाने का आरोप लगाया गया है। मुख्यमंत्री पर पीएम के सुरक्षा विवरण द्वारा किए गए कई एसओएस कॉल का जवाब नहीं देने का आरोप लगाया गया है।

कांग्रेस का कहना है कि पीएम की यात्रा रुट को राज्य पुलिस की जानकारी के बिना बदल दिया गया था। यह प्रोटोकॉल का पूरा उल्लंघन था। पीएम की पूरी सुरक्षा और उनका मूवमेंट एनएसजी के नियंत्रण में होता है। उसमें कहीं की भी पुलिस कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती।


राज्य की मुसीबत अभी टली नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर पंजाब के गृह मंत्री और पुलिस प्रमुख को बर्खास्त करने की मांग की गई है। शीर्ष अदालत शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करेगी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब गए थे। वह सुबह बठिंडा में उतरे, जहां से उन्हें फिरोजपुर के लिए उड़ान भरनी थी, जहां उनकी रैली थी। हालांकि, खराब मौसम ने योजनाओं में बदलाव के लिए मजबूर किया और पीएम मोदी ने सड़क मार्ग से 100 किमी की दूरी तय करने का फैसला किया।इसके लिए पीएम के काफिले को कम से कम दो घंटे की ड्राइव करना पड़ती। पीएम का काफिला जब आगे बढ़ा तो पीएम को बठिंडा राजमार्ग पर 20 मिनट तक एक पुल पर किसानों द्वारा रास्ता जाम करने की वजह से रुकना पड़ा। लेकिन भारत के इतिहास में पिछले तीन-चार  प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में ऐसा मौका कभी नहीं आया कि उन्हें रैली संबोधित करने के लिए दो घंटे की यात्रा करना पड़ी हो। आखिर वो कौन सा अधिकारी है, जिसने तय किया कि प्रधानमंत्री सौ किलोमीटर सड़क मार्ग से जाएंगे। तमाम विपरीत परिस्थितियों में खुद मोदी ने मोबाइल से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित कर रैलियां की हैं।

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आखिरकार मोदी को वापस लौटना पड़ा। लेकिन एकमात्र न्यूज एजेंसी ने खबर जारी कर दी कि लौटते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने हवाई अड्डे पर पंजाब सरकार के अधिकारी से कहा - "अपने मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहना कि मैं जीवित लौट रहा हूं। देश इस समय मोदी की सुरक्षा चूक पर बहस कर रहा है। प्रधानमंत्री कानपुर में गंगा के किनारे आयोजित कार्यक्रम में सीढ़ियों पर फिसल गए थे। उसकी भी जांच हुई थी, लेकिन तब यूपी की बीजेपी सरकार को किसी ने जिम्मेदार  नहीं ठहराया था। उस रास्ते की जांच किसकी जिम्मेदारी थी। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद इस मामले की दिशा तय हो जाएगी। पंजाब के सीएम चन्नी ने साफ कह दिया है कि इसमें पंजाब पुलिस की कोई गलती नहीं है। पंजाब में पीएम की जान को कोई खतरा नहीं था। मैं उनकी लंबी आय़ु के लिए दुआ करता हूं।

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क़मर वहीद नक़वी
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