यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि “राजनीतिक इस्लाम” एक बड़ा खतरा है जो भारत की “आबादी” बदलने का लक्ष्य रखता है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने इस खतरे से लड़ा था, लेकिन आज इस पर बहुत कम चर्चा होती है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश और फ़्रेंच उपनिवेशवाद की अक्सर इतिहास में चर्चा होती है, लेकिन “राजनीतिक इस्लाम” का बहुत कम जिक्र होता है।

गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोबिंद सिंह, महाराणा प्रताप और महाराणा सांगा ने “राजनीतिक इस्लाम” के खिलाफ युद्ध लड़ा। उनके शब्द हैं-  “हमारे पूर्वजों ने राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ बड़े संघर्ष किए, लेकिन इतिहास में इस आयाम को बहुत हद तक अनदेखा किया गया है।”

उन्होंने कहा कि “राजनीतिक इस्लाम” आज भी भारत को विभाजित करने की दिशा में काम कर रहा है और उन्होंने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में छंगुर बाबा के मामले का संदर्भ दिया। एक स्व-घोषित साधु, छंगुर बाबा उर्फ् जुलालुद्दीन शाह, पर जुलाई में गिरफ्तारी से पहले कथित रूप से अवैध धार्मिक रूपांतरण का रैकेट चलाने का आरोप है।

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आदित्यनाथ ने कहा कि “राजनीतिक इस्लाम” छंगुर बाबा जैसे तत्वों के माध्यम से देश को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। “आरएसएस ऐसे खतरों से समाज को सुरक्षित करने की दिशा में प्रयास कर रहा है, और इसके प्रयासों की प्रशंसा की जानी चाहिए।”

हलाल सर्टिफिकेशन पर निशाना 

 आदित्यनाथ ने कहा कि छंगुर बाबा धार्मांतरण  कराने वालों को उनकी जाति के हिसाब से पैसा दे रहा था। “और यह पैसा कहां से आ रहा है? आप स्रोत भी नहीं जानेंगे। यह किसी दूसरे देश से नहीं आ रहा। यह आपसे आ रहा है।” उन्होंने कहा- “जब आप कुछ खरीदते हैं, तो सुनिश्चित करें कि उस पर हलाल सर्टिफिकेशन तो नहीं है। हमने उत्तर प्रदेश में इसे बंद कर दिया है। आप हैरान होंगे कि साबुन, कपड़े और माचिस की तीली तक हलाल प्रमाण के साथ बेची जा रही है।”

आदित्यनाथ ने कहा कि देश में हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर 25,000 करोड़ रुपये की भारी राशि बिना केंद्र या किसी राज्य सरकार की अनुमति के जुटाई गई है। “यह सारा पैसा आतंकवाद, लव जिहाद और धर्मांतरण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए उत्तर प्रदेश ने इसके खिलाफ एक बड़ी मुहिम शुरू की है”, उन्होंने लोगों से खरीदारी से पहले उत्पादों की जाँच करने की अपील की। उन्होंने कहा, “छंगुर बाबा उर्फ जुलालुद्दीन आपके आसपास छिपे हो सकते हैं। उन पर नजर रखें।”

हलाल क्या हैः हलाल प्रमाणित उत्पाद का अर्थ है ऐसा आइटम या सेवा जो इस्लामी क़ानून के अनुरूप है और मुसलमानों के लिए स्वीकार्य है। भारत में हलाल प्रमाणन तीसरी-पक्ष संगठनों द्वारा किया जाता है और यह अनिवार्य नहीं है।

योगी के बयान के चिंताजनक पहलू 

विभाजनकारी भाषा: “राजनीतिक इस्लाम” को एक बड़े खतरे के रूप में प्रस्तुत करना, विशेष रूप से एक धर्म-समूह की व्यापक विचारधारा को, समाज में विभाजन को बढ़ावा दे सकता है। यदि ऐसा संदेश है कि एक पूरे समुदाय के लोग देश को बाँटने का प्रयास कर रहे हैं, तो यह सामाजिक समरसता के लिए खतरनाक हो सकता है। कुछ दावे जैसे हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर 25,000 करोड़ रुपये जुटाए गए, इसे आतंकवाद व लव-जिहाद में इस्तेमाल किए गए हैं। लेकिन इन दावों के स्रोत, व्यापक डेटा या संतुलित विश्लेषण सार्वजनिक रूप से नहीं दिए गए हैं। बिना प्रमाण के ऐसे दावे सामाजिक भय व घृणा को बढ़ावा दे सकते हैं। 

धार्मिक-राजनीति का मिश्रण: विशेष रूप से यह लेख चुनाव-परिस्थिति के दौरान आया है और यह संभावना है कि यह भाषण और लेख राजनीतिक उद्देश्य से धर्म-विरोधी ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है। राजनीति में धार्मिक भाषा का इस्तेमाल सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकता है। 

अबादी में बदलाव डरावना संदेश: “हमारी जनसांख्यिकी बदल रही है” जैसे कथन, एक धार्मिक-समुदाय को ‘खतरा’ के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह संदेश भय का माहौल बना सकता है और अल्पसंख्यक समुदायों में असुरक्षा की भावना जगा सकता है। यदि हलाल प्रमाणन या धार्मिक रूपांतरण को अनियंत्रित माना जाता है तो उससे निपटना ज़रूरी है। लेकिन इसके लिए न्यायिक, नीतिगत एवं सामाजिक रूप से संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, केवल घोषणा-स्तर पर अभियान चलाना पर्याप्त नहीं है।

योगी से पहले भी आए हैं बयान

बिहार में चुनावी प्रक्रिया जारी है। लेकिन अभी तक कई बीजेपी नेताओं के भड़काऊ बयान सामने आ चुके हैं। बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने बिहार में एक कार्यक्रम में कहा कि बीजेपी को नमक हरामों के वोट नहीं चाहिए। उन्होंने मुस्लिमों को टारगेट करते हुए ये बयान दिया था। इसी तरह बीजेपी के एक और सांसद अशोक यादव ने कहा था कि मुसलमानों को अगर मोदी से नफरत हैं तो वो तौबा करें और किसी सरकारी स्कीम का लाभ न उठाएं, क्योंकि मोदी की सरकारी स्कीम तो सभी के लिए है।
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भारत एक विविधतापूर्ण, बहुधर्मी देश है। जहाँ धार्मिक-सामाजिक समरसता बने रहना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे वक्त में जब कथित खतरे के नाम पर समुदाय विशेष को टारगेट किया जाए, तो यह सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है, अल्पसंख्यकों की असुरक्षा बढ़ा सकता है, और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर सकता है।