बेहद सख़्त लॉकडाउन के कारण काम-धंधों पर जो मार पड़ी है, उस वजह से बड़ी संख्या में नौकरियां भी गई हैं।
उत्तर प्रदेश में कोरोना लॉकडाउन का असर जानने के लिए जेएनयू और लखनऊ के संस्थान के प्रोफ़ेसरों ने 3 ज़िलों में सर्वे किया। सर्वे के अनुसार, लोगों की आमदनी 5 गुनी कम हो गई।
देश की जीडीपी में तेज़ गिरावट आई तो उसका आम इंसान की ज़िंदगी पर क्या फ़र्क पड़ेगा? भारत को फ़ाइव ट्रिलियन डॉलर यानी पाँच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सपने का क्या होगा और इस हालत से उबरने का रास्ता क्या है?
लॉकडाउन के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को पड़ी मार को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी की है।
लॉकडाउन की घोषणा या उससे पहले नौकरियों के बारे में जिस तरह की आशंकाएँ जताई जा रही थीं, ठीक वैसा ही असर हुआ है। लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से जुलाई तक 1 करोड़ 89 लाख वेतन भोगी लोगों की नौकरियाँ चली गई हैं।
महाराष्ट्र में धुले के क़रीब सोनगीर तांबे और पीतल के बर्तनों के लिए देश भर में जाना जाता है। कोरोना संक्रमण के कारण सख़्त लॉकडाउन और मंदी के कारण यहाँ पिछले चार महीनों से काम बंद है।
लॉकडाउन, प्रवासी मज़दूरों का अपने गृह राज्यों के लिए पलायन और बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरी जाने के बीच अर्थव्यवस्था के बहुत ही धीमी गति से ही सही, पर पटरी पर लौटने के संकेत मिल रहे हैं।
भारतीय रेल को लॉकडाउन के दौरान अपना कामकाज ठप रखने की वजह से तक़रीबन 9 हज़ार करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ है।
लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को कितना नुक़सान हुआ? इसका हिसाब लगाना बेहद मुश्किल है। सरकार ने अब तक कोई अनुमान भी नहीं लगाया है।
लॉकडाउन ने आम लोगों ही नहीं, सरकारों की भी आर्थिक स्थिति बिगाड़ दी है। राज्य सरकारों की आमदनी इतनी कम हो गई है कि उन्हें अब क़र्ज़ लेना पड़ रहा है।
दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान राशन न मिलने पर लोगों ने दिल्ली नगर निगम के एक स्कूल पर पथराव कर दिया।
पूरे देश में कोरोना से हुए लॉकडाउन के कारण 5 लाख से अधिक रेस्तरां बंद हो गए हैं और इस वजह से लगभग 73 लाख लोग बेरोज़गार हो चुके हैं।
लॉकडाउन के बाद बेरोज़गार हुए और भूखे रहने के संकट का सामना कर रहे मज़दूरों और अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कुछ उद्योगों को शुरू किया जा सकता है।
विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि कोरोना संक्रमण की वजह से इस साल भारत की विकास दर में 5 प्रतिशत की कमी आएगी।
देश भर में लॉकडाउन के बीच बनारस के एक गाँव में भूख के कारण घास खाने की ख़बर प्रकाशित करने पर ज़िला प्रशासन ने नोटिस दे दिया है।
जनवरी-फरवरी में माँग निकलने से भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधरने की उम्मीद दिखी थी, वह अब ख़त्म हो चुकी है।
भारत की पहले से ख़राब अर्थव्यवस्था में दुनिया की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ कोरोना वायरस का भी असर होना है और यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि क्या कुछ हो सकता है।
भारत की अर्थव्यवस्था पहले से बदहाल है, ऐसे में चीन में फैले कोरोना वाइरस का असर इस पर पड़ेगा तो इसकी स्थिति और बदतर होगी।