महाराष्ट्र में धुले के क़रीब सोनगीर तांबे और पीतल के बर्तनों के लिए देश भर में जाना जाता है। कोरोना संक्रमण के कारण सख़्त लॉकडाउन और मंदी के कारण यहाँ पिछले चार महीनों से काम बंद है। वहीं, बरसात के दिनों में तांबा काला पड़ने से कारीगरों द्वारा बर्तन बनाने का काम रोक दिया जाता है। ऐसे में यहाँ बर्तन कारीगरों और व्यवसायियों के सामने आजीविका का संकट गहरा गया है। हालात इतने ख़राब हैं कि इस क्षेत्र से जुड़े अधिकतर परिवार अपना पुश्तैनी धंधा छोड़ने के लिए मजबूर हैं। ये लोग अब दो जून की रोटी के लिए नए काम ढूंढ रहे हैं।
सोनगीर: बर्तन कारीगर लॉकडाउन, मंदी, मौसम की मार से त्रस्त, मज़दूरी की मजबूरी
- महाराष्ट्र
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- 21 Jul, 2020

फ़ाइल फ़ोटो
महाराष्ट्र में धुले के क़रीब सोनगीर तांबे और पीतल के बर्तनों के लिए देश भर में जाना जाता है। कोरोना संक्रमण के कारण सख़्त लॉकडाउन और मंदी के कारण यहाँ पिछले चार महीनों से काम बंद है।
सोनगीर में तांबा-पीतल बर्तनों के व्यवसाय से जुड़े अविनाश कासर कहते हैं, ‘यहाँ कारीगरों की माली हालत कोई ख़ास अच्छी नहीं है। वे साल के सात से आठ महीने खाली नहीं बैठ सकते हैं। आजकल तांबे और पीतल के बर्तनों की माँग न होने से पूरा क़ारोबार मंद पड़ गया है।’