महाराष्ट्र में धुले के क़रीब सोनगीर तांबे और पीतल के बर्तनों के लिए देश भर में जाना जाता है। कोरोना संक्रमण के कारण सख़्त लॉकडाउन और मंदी के कारण यहाँ पिछले चार महीनों से काम बंद है। वहीं, बरसात के दिनों में तांबा काला पड़ने से कारीगरों द्वारा बर्तन बनाने का काम रोक दिया जाता है। ऐसे में यहाँ बर्तन कारीगरों और व्यवसायियों के सामने आजीविका का संकट गहरा गया है। हालात इतने ख़राब हैं कि इस क्षेत्र से जुड़े अधिकतर परिवार अपना पुश्तैनी धंधा छोड़ने के लिए मजबूर हैं। ये लोग अब दो जून की रोटी के लिए नए काम ढूंढ रहे हैं।