एक तरफ खुशी का त्योहार दीपावली तो दूसरी तरफ एक ही उत्सव के तमाम अंतर्विरोध। आखिर हिन्दू समाज इस पर बात क्यों नहीं करता। हिन्दू समाज अपने समय के सबसे महत्वपूर्ण सवाल को नजरन्दाज कर रहा है। पत्रकार, लेखक, स्तंभकार अपूर्वानंद हिन्दू समाज से उन्हीं सवालों को पूछ रहे हैंः
हे दिवाली मइया! हम तुम्हारा जस मानेंगे कि तुम अपने प्रताप से हमारे तथाकथित आधुनिक होते जाते समाज को त्यौहारों की सीधी पटरी पर ले आओ। नहीं तो लोग यह देश छोड़कर विदेशी दिवाली मनाने के तमाम बहाने ले आयेंगे।