भाजपा ने अपने लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि पार्टी के हर सांसद को 18 से 22 सितंबर तक विशेष संसद सत्र के दौरान हर हालत में मौजूद रहना अनिवार्य है। सदन में महत्वपूर्ण विधायी मामलों पर चर्चा की जाएगी।
बिना एजेंडा बताए, संसद का विशेष सत्र बुला लिया गया है। लेकिन ऐसा नामुमकिन है कि सरकार ने बिना सोचे समझे विशेष सत्र बुला लिया हो। हो सकता है कि सरकार ने कुछ ऐसा सोचा हो, जिसे वो बताना न चाहती हो लेकिन अगर विपक्ष सवाल न करे तो क्या करे। विपक्ष को लगातार सवाल पूछना चाहिए, जिसे वो कर भी रहा है।
संसद में चौथे दिन भी हंगामा हुआ। सरकार ने कल सोमवार को विपक्षी नेताओं से कई बैठकें और संसद चलाने का अनुरोध किया। दोपहर बाद ही सदन में ठीक से चर्चा का माहौल बना। उसे पहले सदन दो बार स्थगित हुआ।
देश की जिस संसद में अहम मुद्दों पर बात होना चाहिए, वहां गतिरोध जारी है। एक करीब 8-9 दिनों से संसद चल रही है लेकिन सरकार महंगाई जैसे मुद्दे पर बहस नहीं होने दे रही है। लेकिन यह अफसोसनाक बात है कि संसद न चलने देने का आऱोप विपक्ष पर लगाया जा रहा है। हकीकत ये है कि संसद नहीं चलने देने में सरकार को ही फायदा है।