हिंदी 'थोपने' के ख़िलाफ़ तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है। राज्य में एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली सत्ताधारी पार्टी डीएमके यह प्रस्ताव लेकर आई। हालाँकि, जब प्रस्ताव को पेश किया गया तो राज्य के बीजेपी विधायक विधानसभा से वाकआउट कर गए।
हिंदी 'थोपने' पर विवाद; तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव क्यों?
- तमिलनाडु
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- 18 Oct, 2022
हिंदी 'थोपने' के ख़िलाफ़ क्या फिर से दक्षिण भारत में विरोध तेज होगा? तमिलनाडु में आख़िर हिंदी के विरोध में हलचल क्यों तेज है? जानिए, विधानसभा में क्या लाया गया है प्रस्ताव।

डीएमके का यह प्रस्ताव तब आया है जब केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए कथित तौर पर एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है। यह दावा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ही किया है। उन्होंने इसको लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है। पत्र में स्टालिन ने कहा है कि हाल में हिंदी को थोपे जाने का प्रयास अव्यवहारिक है और यह विभाजन को बढ़ावा देने वाला होगा। स्टालिन ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे ख़त में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली समिति का ज़िक्र किया है।