बीआरएस से पार्टी-विरोधी गतिविधियों के नाम पर सस्पेंड किए जाने के अगले ही दिन बुधवार को के. कविता ने साफ़-साफ़ कह दिया कि अब न वो पार्टी में रहेंगी और न ही एमएलसी की कुर्सी पर। हैदराबाद में मीडिया से बात करते हुए कविता ने आरोप लगाया कि उनके ख़िलाफ़ कुछ बीआरएस नेताओं ने मिलकर साजिश रची है और झूठे केस लगा दिए गए हैं। कविता ने अपने भाई केटीआर पर भी तगड़ा वार किया और बोलीं, ‘जब मेरे खिलाफ बदनामी का खेल चल रहा था, तो केटीआर ने जरा भी साथ नहीं दिया।’

के कविता को एक दिन पहले ही यानी मंगलवार को भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस से सस्पेंड कर दिया गया है। वजह बताई गई कि  कविता के ताज़ा बयान पार्टी के खिलाफ हैं और इससे पार्टी को नुक़सान पहुँच रहा है। पार्टी नेताओं टी. रविंदर राव और सोमा भारत कुमार ने बयान जारी कर बताया कि पार्टी प्रेसिडेंट और कविता के पिता के. चंद्रशेखर राव ने तुरंत कविता को सस्पेंड करने का फ़ैसला किया है। कविता के जिन बयानों को सस्पेंशन का आधार बनाया गया उसमें कविता ने अपने चचेरे भाई और सीनियर बीआरएस लीडर टी. हरीश राव पर कालेश्वरम प्रोजेक्ट में घोटाले का इलज़ाम लगाया था। कविता का कहना था कि इसी घोटाले की वजह से कविता के पिता, चंद्रशेखर राव के खिलाफ सीबीआई की जांच शुरू हुई।
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गड़बड़ियों का आरोप

कविता ने अपने चचेरे भाई और पूर्व सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव और पूर्व राज्यसभा सांसद जे. संतोष कुमार पर सीधे-सीधे आरोप लगाया कि इन दोनों ने मिलकर कालेश्वरम प्रोजेक्ट में गड़बड़ियाँ की हैं। कविता का कहना है कि इन दोनों ने ठेकेदारों से चोरी-छिपे सौदे किए और खूब पैसा कमाया, जिसकी वजह से उनके पिता केसीआर की छवि खराब हुई। कविता ने ये भी आरोप लगाया कि मौजूदा सीएम रेवंत रेड्डी हरीश राव और संतोष कुमार को बचा रहे हैं और रेड्डी ने भी इन दोनों के साथ कोई गुप्त सौदा कर रखा है। कविता ने साफ़ कहा- “केसीआर के कुछ करीबी केसीआर के नाम का गलत इस्तेमाल करके फायदे उठा रहे हैं। उनके किए-धरे की वजह से ही केसीआर की छवि को नुक़सान पहुंच रहा है।”

कविता ने अपने भाई केटीआर पर भी सीधा निशाना साधा। कविता का कहना है कि जब उनके खिलाफ साजिश रची जा रही थी, उन्होंने बार-बार शिकायत की, लेकिन केटीआर ने कभी ध्यान ही नहीं दिया। कविता बोलीं- “मैंने उन्हें बताया था कि मेरे खिलाफ झूठा कैंपेन चल रहा है। ये बात मैंने एक बहन बनकर नहीं, बल्कि एमएलसी की हैसियत से कही थी। फिर भी केटीआर ने कोई कदम नहीं उठाया।”

कविता ने केटीआर को चेतावनी दी कि वो अपने चचेरे भाइयों- हरीश राव और संतोष कुमार- पर ज़्यादा भरोसा न करें, क्योंकि ये दोनों न पार्टी के भले के हैं और न ही परिवार के। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग परिवार को ही कमजोर करने और खत्म करने की प्लानिंग कर रहे हैं।

कविता बनाम बीआरएस नेता

कविता और बीआरएस नेताओं के बीच टकराव कोई नया नहीं है। मई 2025 में कविता का अपने पिता केसीआर को लिखा एक खत लीक हो गया था, जिसमें कविता ने पार्टी के कामकाज पर सवाल उठाए थे और ये भी कहा था कि बीआरएस बीजेपी के साथ ज़्यादा नरम रुख अपना रही है। कविता ने खत लीक होने को “पार्टी के अंदर की साजिश” बताया था और कहा था कि केसीआर को चारों तरफ से “राक्षसों” ने घेर लिया है। इसके पहले, अगस्त 2024 में भी कविता को तेलंगाना बोग्गु गनी कर्मिका संघम के मानद अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। तब भी कविता ने इसे साफ-साफ एक सियासी साजिश करार दिया था।

पार्टी और उनके पिता चंद्रशेखर राव के साथ कविता का तनाव काफी वक्त से बढ़ता जा रहा था। के कविता को लगता था कि पार्टी और परिवार में हर चीज़ पितृसत्तात्मक तरीके से चलती है, जिसमें उनके भाई केटी रामाराव को हमेशा कविता से ज्यादा ऊपर रखा जाता था। सीधे शब्दों में कहा जाए तो कविता को ये बात चुभ रही थी कि कविता भी सीनियर लीडर हैं, लेकिन परिवार और पार्टी में फैसला लेने का ज़्यादा हक कविता के भाई को दिया जा रहा था। यहां गौर करने की बात ये है कि जब तक बीआरएस तेलंगाना की सत्ता में रही तब तक ये मतभेद कभी खुलकर सामने नहीं आया।

नयी पार्टी बनाएँगे कविता?

लेकिन अब कविता ने साफ़-साफ़ कह दिया है कि वो अपने सांस्कृतिक संगठन तेलंगाना जागृति के ज़रिए अपना काम जारी रखेंगी। उधर, राजनीति के गलियारों में ये भी चर्चा है कि शायद वो अपनी नई पार्टी बना लें- जैसे आंध्र प्रदेश में वाई.एस. शर्मिला ने किया था। कविता ने कहा कि उनका मक़सद अपने पिता केसीआर की विरासत को बचाना है और उसी के लिए कविता मेहनत करती रहेंगी। लेकिन कविता ने ये भी साफ़ कर दिया कि वो किसी और के नेतृत्व में काम नहीं करेंगी- मतलब अगर राजनीति करेंगी तो अपनी शर्तों पर ही करेंगी।

कविता का निलंबन और इस्तीफा बीआरएस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। पार्टी वैसे ही 2023 के विधानसभा चुनाव हारने और कई विधायकों के कांग्रेस में चले जाने से कमजोर हो चुकी है। अब कविता के आरोपों ने कांग्रेस और बीजेपी को बीआरएस पर खुलकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने का मौका दे दिया है। तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष बी. महेश कुमार गौड़ ने तो इसे बीआरएस का “घर का मामला” बताया। महेश कुमार का कहना है कि ये सब असल में केसीआर के परिवार में चल रहे संपत्ति विवाद का नतीजा है।
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कविता के निलंबन से ना केवल बीआरएस का, बल्कि केसीआर के परिवार के भीतर चल रहे गहरे झगड़ों को भी सबके सामने ला दिया है। कभी तेलंगाना आंदोलन का बड़ा चेहरा रही कविता 2014 में निजामाबाद से सांसद बनी थीं, लेकिन 2019 का चुनाव हारने के बाद से पार्टी में उनका रोल कम होता गया। इस बीच कविता के भाई केटीआर और चचेरे भाई हरीश राव ने पार्टी में मज़बूत पकड़ बना ली, जिससे कविता की पकड़ और ढीली पड़ गई। अब वो तेलंगाना जागृति के सहारे अपनी सियासी पहचान फिर से बनाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन इसका असर ये भी हो सकता है कि बीआरएस को अंदरूनी खींचतान और चुनौतियों का और सामना करना पड़े।