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अतीक-अशरफ़ हत्याकांड के लिए अब एसआईटी का गठन क्यों?

अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्‍या के मामले में अब एक और जाँच टीम का गठन किया गया है। पहले न्यायिक जाँच समिति बनाई गई थी और अब एसआईटी। यानी विशेष जाँच दल। विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्‍यवस्‍था) प्रशांत कुमार ने सोमवार को कहा कि प्रयागराज के पुलिस आयुक्‍त आर के विश्वकर्मा के आदेश पर अपर पुलिस उपायुक्‍त, अपराध (मुख्‍य विवेचक) के नेतृत्व में तीन सदस्‍यीय एसआईटी गठित की गई है। इसके अलावा एक निगरानी समिति का भी गठन किया गया है।

प्रशांत कुमार ने कहा है कि गुणवत्तापूर्ण व समयबद्ध जांच सुनिश्चित करने के लिए तीन सदस्य निगरानी टीम का भी गठन किया गया है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा है कि इस टीम के प्रमुख प्रयागराज के अपर पुलिस महानिदेशक होंगे और प्रयागराज के पुलिस आयुक्‍त और लखनऊ स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक इसके सदस्‍य होंगे।

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इसी मामले में यानी अतीक और अशरफ की हत्या की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति का गठन किया है। जांच समिति की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी को सौंपी गई है। त्रिपाठी के अलावा समिति में दो अन्य सदस्य भी शामिल किये गये हैं इन सदस्यों में हाईकोर्ट के ही रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार सोनी और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुबेश कुमार सिंह को शामिल किया गया है।

जांच समिति का गठन, जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत किया गया है। जांच रिपोर्ट दो महीने में सरकार को सौंपना होगा। 

न्यायिक जाँच समिति के गठन के बाद ही एसआईटी और निगरानी समिति के गठन की घोषणा की गई। ये जाँच समितियाँ तब बनाई गई हैं जब इस हत्याकांड का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इन दोनों हत्याओं की जांच एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति से कराने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में अर्जी दायर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अगुवाई वाली समिति 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में हुए मुठभेड़ों की जांच करे।

एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में हुई मुठभेड़ों की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की है। उसमें 2017 के बाद यूपी में 183 मुठभेड़ों की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई है। 

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बता दें कि अतीक और अशरफ से पूछताछ लगभग पूरी हो चुकी थी और नियमित कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, दोनों को न्यायिक हिरासत में वापस भेजे जाने से पहले चेक-अप के लिए पुलिस सुरक्षा में शनिवार रात को अस्पताल ले जाया गया था। लेकिन दोनों की शनिवार रात ही प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या की वारदात तब हुई जब उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए ले जाया जा रहा था। टेलीविजन फुटेज में अतीक अहमद को पत्रकारों से बात करते हुए देखा गया। तभी कम से कम दो लोगों ने पिस्तौल से उन पर गोलियाँ चला दीं। तब भारी पुलिस बल तैनात था। 

अतीक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि उन्हें कुल 9 गोलियाँ लगी थीं। एक गोली उसके सिर पर लगी। अशरफ को पाँच गोलियाँ लगी थीं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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