राखी कच्चे धागों के जरिये भाई-बहन के स्नेह को इंगित करने वाला पवित्र त्यौहार है लेकिन अब इसे भी बाजार की सियासत की नजर लग गयी है। पहले बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर अपने ही नहीं बल्कि अपने सुहाग की रक्षा का भी वचन हासिल करतीं थीं पर अब जमाना बदल गया है। अब राखियां सियासत और कमाई का जरिया बन गयीं हैं। हमने और आपने इतिहास में पढ़ा होगा कि कैसे अतीत में राजपूतानियों ने मुगलों को युद्धकाल में राखी भेजकर अपना भाई बनाया था और कैसे अपने सुहाग और राज की रक्षा की थी।
राखी बांधिए लेकिन मुल्क के बहुरूपियों को भी पहचानिए
- विविध
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- 29 Mar, 2025

बदलते जमाने के साथ बहनों को राखी बांधते समय अपने भाई का चेहरा, चाल और चरित्र भी देखना होगा। नीयत भी देखना होगी। ऐसा तो नहीं भाई लोक लुभावन नारे और जुमलेबाजी कर रहा हो। राकेश अचल भारतीय नारी को समझा रहे हैं कि मुल्क के लीडरों को राखी यूं ही न बांधे।


























