लोकतंत्र एक राजनैतिक व्यवस्था के अतिरिक्त एक ऐसा विचार भी है जिसमें बहुभाषाई, बहुधार्मिक और बहुक्षेत्रीय विविधताओं के बावजूद सम्पूर्ण राष्ट्र एक भौगोलिक सीमा के भीतर सह-अस्तित्व में ‘शांतिपूर्वक’ रह सके। किन्तु यह भी सच है कि मानवीय सभ्यता के पिछले 5 हजार साल, इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यह शांति; किसी समाज, समुदाय या राष्ट्र जैसी किसी संरचना के अस्तित्व में बने रहने के लिए सबसे ज़्यादा महंगी वस्तु है। लोकतंत्र का सीधा संबंध शांति, न्याय और राष्ट्र के विकास से जुड़ा हुआ है।