जंगबंदी: क्या इस वक्त से अधिक ज़रूरी कोई और लफ़्ज़ दुनिया की सारी ज़ुबानों के शब्दकोशों में हो सकता है? और क्या दुनिया के सारे गलों से और कोई माँग की जानी चाहिए जंगबंदी के अलावा? अमेरिका हो या इंग्लैंड, जर्मनी हो या तुर्की, देश देश से सड़कों पर हज़ारों, लाखों गलों से एक ही सदा उठ रही है: जंगबंदी की। ग़ज़ा पर इज़राइल की बमबारी, औरतों, बच्चों, लोगों का क़त्लेआम फ़ौरन रोका जाए, यह माँग दुनिया के हर देश की तरफ से जा रही है।
आज हम अपनी नैतिक आवाज़ खो चुके हैं!
- वक़्त-बेवक़्त
- |
- |
- 29 Mar, 2025

दुनियाभर में गजा में युद्ध रोकने के लिए इजराइल विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं।
यूएन में इजराइल के खिलाफ और फिलिस्तीन के पक्ष में प्रस्ताव आया। उस प्रस्ताव में गजा में युद्ध रोकने और शांति बहाल करने की बात कही गई थी। भारत ने इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया यानी भारत एक तरह से इजराइल और अमेरिका के पक्ष में खड़ा नजर आया। जिस भारत ने नस्लवाद का विरोध किया, जिस भारत ने आजाद फिलिस्तीन की बात अटल युग में भी कही, हमेशा समर्थन दिया। आज वो भारत अपनी नैतिक आवाज तक खो बैठा है। गजा में हजारों बच्चों के कत्ल-ए-आम का विरोध तक नहीं। स्तभंकार अपूर्वानंद ने पूरी संवेदना के साथ इस मुद्दे पर टिप्पणी की है। जरूर पढ़िएः