फिर छत्तीसगढ़ से सीआरपीएफ़ के जवानों के मारे जाने की ख़बर आ रही है। लिखते वक़्त 22 जवानों की मौत का पता चला है। संख्या बढ़ सकती है। ये सब माओवादी विरोधी अभियान में हिस्सा ले रहे थे। एक ही पखवाड़े में यह दूसरा बड़ा नुक़सान है जो भारतीय सुरक्षा कर्मियों को झेलना पड़ा है। पिछले महीने एक लैंड माइन विस्फोट के चलते जवानों से भरी बस पलट गई थी और 5 जवानों की मृत्यु हो गई थी।
माओवादियों में साहस है तो दिमाग़ों के युद्ध क्षेत्र में उतरें
- वक़्त-बेवक़्त
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- 5 Apr, 2021

धरना, जुलूस के ज़रिए आदिवासी उम्मीद कर सकते हैं कि शासन तक अपनी बात पहुँचा सकेंगे। लेकिन माओवादियों से ऐसी कोई आशा उन्हें नहीं है। वे वहाँ हुक्मउदूली की ग़लती नहीं कर सकते। माओवादियों का जनता से रिश्ता एक निरंकुश राज्य और जनता के रिश्ते जैसा है।
ज़ाहिर है, ये मौतें माओवादियों के साथ गोलीबारी में हुई हैं। इस बार बीजापुर में कोई 3 घंटे तक यह गोलीबारी चली। यह भी ख़बर है कि माओवादी भी मारे गए हैं और उनमें एक महिला है। 7 जवानों की स्थिति गंभीर है। उधर माओवादियों में कितने घायल हैं, यह ख़बर नहीं है क्योंकि उनकी तरफ़ से कोई सूचना नहीं है।