अलीगढ़ के पास टप्पल इलाक़े में ढाई साल की मासूम ट्विंकल की हत्या के बाद सिर्फ़ अलीगढ़ ही नहीं, देश के कोने-कोने से बच्ची के लिए इंसाफ़ की माँग की जा रही है। हत्या पर अफ़सोस, शर्म और नाराज़गी का इजहार किया जा रहा है।
ढाई साल की बच्ची को आपसी रंजिश के चलते ही क्यों नहीं, मार डालना परले दर्जे की विकृति है और उसका कोई मनोवैज्ञानिक औचित्य नहीं दिया जा सकता। यह तथ्य कि अभियुक्त पहले से ही ऐसा था, मारी गई बच्ची के परिजनों को कोई राहत नहीं पहुँचाता। ढाई साल की बच्ची की हत्या इसलिए भी अधिक क्रूर है क्योंकि वह बच्ची किसी भी तरह अपनी रक्षा नहीं कर सकती थी। शायद ट्विंकल बच जाती अगर पुलिस ने पहले ही परिवार की गुहार सुन ली होती। इसलिए ज़िम्मेवार पुलिसकर्मियों को सज़ा होनी भी ज़रूरी है।
सह-नागरिकता के भाव को विकसित करना ज़रूरी
- वक़्त-बेवक़्त
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- 10 Jun, 2019

न्याय की माँग करते हुए जब किसी समुदाय को कठघरे में खड़ा किया जाए या उसे अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाया जाए तो न्याय की वह माँग ही अन्याय बन जाती है। वह संवेदना से अधिक घृणा का संगठन है। ट्विंकल की हत्या के बाद क्यों गाँव के मुसलमान भय से गाँव छोड़ रहे हैं? पाकिस्तान में सलमान तासीर की संवेदना, न्यूज़ीलैंड में प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न की संवेदना, श्रीलंका में हिंदू समूहों की संवेदना ईमानदार है। वह स्वार्थ से परे है, इसलिए भी और इस कारण भी कि वह आत्मरक्षा या ख़ुद के प्रभुत्व की इच्छा से मुक्त है।