इसराइल द्वारा ईरान की राजधानी तेहरान और अन्य प्रमुख शहरों में किए गए हवाई हमलों में ईरान के कई शीर्ष अधिकारियों की मौत की ख़बर है। इसराइल ने इस हमले को 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' नाम दिया है। हमला ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया। इन हमलों में ईरान के कई शीर्ष सैन्य और परमाणु अधिकारियों की मौत की पुष्टि हुई है। 

मारे गए शीर्ष तीन अधिकारियों में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स यानी आईआरजीसी के कमांडर-इन-चीफ मेजर जनरल हुसैन सलामी, ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ जनरल स्टाफ़ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के करीबी व प्रमुख राजनयिक अली शमखानी शामिल हैं। जानिए, ईरान के लिए ये तीनों कितने अहम थे और इनकी ज़िम्मेदारियाँ क्या थीं।
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मेजर जनरल हुसैन सलामी

मेजर जनरल हुसैन सलामी ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स यानी आईआरजीसी के कमांडर-इन-चीफ़ थे। 1960 में जन्मे सलामी ने 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान आईआरजीसी में शामिल होकर अपने सैन्य करियर की शुरुआत की थी। वे 2019 में आईआरजीसी के प्रमुख बने और तब से ईरान की सैन्य रणनीति और क्षेत्रीय प्रभाव को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। सलामी को उनकी कट्टरवादी विचारधारा और इसराइल व अमेरिका के ख़िलाफ़ आक्रामक बयानबाजी के लिए जाना जाता था। उन्होंने आईआरजीसी को एक शक्तिशाली सैन्य और राजनीतिक ताक़त के रूप में स्थापित करने में अहम योगदान दिया, जो मध्य पूर्व में ईरान के हितों को बढ़ावा देता है।

तस्नीम समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सलामी की मौत तेहरान में उनके अपार्टमेंट पर लक्षित इसराइली हमले में हुई। यह हमला आईआरजीसी के मुख्यालयों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया था। 

सलामी की मौत को ईरान की सैन्य क्षमता के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि आईआरजीसी देश की सबसे शक्तिशाली सैन्य इकाई है।

मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी

मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़ थे और देश की सैन्य रणनीति के शीर्ष निर्णयकर्ताओं में से एक थे। 1960 में तेहरान में जन्मे बाघेरी ने ईरान-इराक युद्ध में एक सैनिक के रूप में हिस्सा लिया और बाद में आईआरजीसी में उच्च पदों पर आसीन हुए। 2016 में उन्हें सशस्त्र बलों का चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ नियुक्त किया गया था। बाघेरी ने ईरान की क्षेत्रीय नीतियों, विशेष रूप से सीरिया, इराक और यमन में सैन्य हस्तक्षेप को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय गठबंधनों को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण के लिए जाना जाता था।

इसराइली हमलों में बाघेरी की मौत की पुष्टि द टाइम्स ऑफ़ इसराइल और विभिन्न सोशल मीडिया पोस्टों द्वारा की गई है। उनकी मौत ने ईरान की सैन्य कमान में एक बड़ा शून्य पैदा कर दिया है, क्योंकि वे सैन्य संचालन के समन्वय और रणनीति निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाते थे।
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अली शमखानी

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के करीबी सहयोगी और प्रमुख राजनयिक अली शमखानी की शुक्रवार को इसराइल के अभूतपूर्व हवाई हमलों में मौत हो गई। ईरान के सरकारी टेलीविजन नेटवर्क IRINN ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की है। शमखानी 2013 से एक दशक तक ईरान के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी रहे। इससे पहले उन्होंने इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स आईआरजीसी और रक्षा मंत्रालय में कई अहम भूमिकाएँ निभाईं। वे ईरानी कूटनीति के एक उभरते सितारे थे और वाशिंगटन व यूरोप के विदेश नीति हलकों में अच्छी तरह पहचाने जाते थे।

शमखानी ने चीन की मध्यस्थता में सऊदी अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में ईरान का प्रतिनिधित्व किया। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने वर्षों की शत्रुता के बाद राजनयिक संबंध बहाल करने पर सहमति जताई। हालांकि, 2023 के मध्य में उन्हें अचानक उनके पद से हटा दिया गया।

फिर भी, शमखानी सर्वोच्च नेता के करीबी सहयोगी बने रहे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के साथ परमाणु वार्ता में ईरान को सलाह देते रहे।

अप्रैल में अमेरिका के साथ वार्ता से कुछ दिन पहले उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर ईरान को खतरा महसूस हुआ तो वह संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निरीक्षकों को निष्कासित कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी आईएईए के साथ सहयोग बंद कर सकता है।
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हमले का असर

इसराइली हमलों में न केवल इन तीन शीर्ष अधिकारियों की मौत हुई, बल्कि नतान्ज़ परमाणु स्थल और अन्य सैन्य ठिकानों को भी भारी नुक़सान पहुँचा। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खामनेई ने इन हमलों को शैतानी अपराध करार देते हुए इसराइल को कठोर सजा देने की चेतावनी दी है। ईरानी सेना और आईआरजीसी ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जिससे मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ गया है।
इन शीर्ष अधिकारियों की हत्या ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है। भारत, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राष्ट्र जैसे देशों और संगठनों ने तनाव कम करने और कूटनीति का सहारा लेने की अपील की है।